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द्रव्यसग्रह--प्रश्नोत्तरी टीका उत्तर- राजावोंके व्यवहार, वैभव आदिकी चर्चा करनेको राजकथा कहते है । प्रश्न ५३- क्रोधप्रमाद किसे कहते है ?
उत्तर- क्रोधवश शुद्धात्मानुभवसे चलित होने व आवश्यक कर्तव्योमे शिथिलता करने को क्रोधप्रमाद कहते है।
प्रश्न ५४-- मानप्रमाद किसे कहते है ?
उत्तर-- मानवश शुद्धात्मानुभवसे चलित होने व आवश्यक कर्तव्योमे शिथिल होनेको व दोप लगानेको मानप्रमाद कहते है ।
प्रश्न ५५- मायाप्रमाद किसे कहते है ?
उत्तर-- मायावश शुद्धात्मानुभवसे चलित होने व आवश्यक कर्तव्योमे दोष लगानेको मायाप्रमाद कहते है।
प्रश्न ५६-- लोभप्रमाद किसे कहते है ?
उत्तर-- लोभकषायवश शुद्धात्मानुभवसे चलित होने व आवश्यक कर्तव्योमे दोप लगानेको लोभप्रमाद कहते है।
प्रश्न ५७-- स्पर्शनेन्द्रियवशता किसे कहते है ?
उत्तर- स्पर्शनेन्द्रियके विपयोके चिन्तवन, प्रवर्तन आदिके आधीन होकर शुद्धात्मानुभवसे चलित होना स्पर्शनेन्द्रियवशता है ।
प्रश्न ५८--रसनेन्द्रियवशता क्या है ? ____उत्तर-- भोजनके स्वादमे रति करके शुद्धात्मानुभवसे चलित हो जाना, सो रसनेन्द्रियवशता है।
प्रश्न ५६-- घ्राणेन्द्रियवशता किसे कहते है ?
उत्तर-- अच्छे गन्ध वाले पदार्थोकी गन्धकी वाञ्छा व वृत्ति करके शुद्धात्मानुभवसे चलित हो जाना घ्राणेन्द्रियवशता है ।
प्रश्न ६०.. चक्षुरिन्द्रियवशता किसे कहते है ?
उत्तर-- सुन्दर रूप, नाटक, कला आदिके देखनेमे रात करके शुद्धात्मानुभवसे चलित हो जानेको चक्षुरिन्द्रियवशता कहते है।
प्रश्न ६१-श्रोत्रेन्द्रियवशता किसे कहते है ?
उत्तर-रागोत्पादक शब्द, सगीत आदिके श्रवणमे रति वरके शुद्धात्मानुभवसे चलित हो जानेको श्रोनेन्द्रियवशता कहते है।
प्रश्न ६२- निद्राप्रमाद किसे कहते है ? उत्तर--निद्राके अशके भी वशीभूत होकर शुद्धात्मानुभवसे चलित हो जानेको निद्रा