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गाथा ३०
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उत्तर - चक्षुरिन्द्रिय (नेत्र) के विपयोसे विरक्त न होने व सुन्दर रूप, खेल, नाटक श्रादि देखनेकी प्रवृत्ति करनेको चक्षुरिन्द्रिय विषयाविरति कहते है ।
प्रश्न ४४ - श्रोत्रेन्द्रियविषयाविरति किसे कहते है ?
उत्तर - श्रोत्रेन्द्रियके विषयोसे विरक्त न होने, सुहावने राग भरे शब्द, संगीत आदिके सुनने की रतिको श्रोत्रेन्द्रिय विषयाविरति कहते है ।
प्रश्न ४५ - मनोविषय प्रविरति किसे कहते है ?
उत्तर - मनके विषयोसे विरक्त न होने व यश, कीर्ति, विषयचिन्तन श्रादि विषयोमे होनेको मनोविषय अविरति कहते है ।
प्रश्न ४६ - इन्द्रिय व मनके अनिष्ट त्रिषयोमे अरति या द्वेष करनेको क्या अविरति नही कहते है ?
उत्तर - अनिष्ट विषयोमे द्वेष करने को भी श्रविरति कहते है । यह द्वेष भी इष्ट विषयोमे रति होनेके कारण होता है, श्रत इसका भी प्रतर्भाव पूर्वोक्त लक्षणो मे हो जाता है । - प्रश्न ४७ - प्रमाद किसे कहते है ?
उत्तर - शुद्धात्मानुभवसे चलित हो जाने व व्रतसाधनमे असावधानी करनेको प्रमाद कहते है ।
प्रश्न ४५ - प्रमादके कितने भेद है ?
उत्तर- प्रमादके मूल भेद १५ है - ( १ ) स्त्रीकथा, (२) देशकथा, (३) भोजन कथा, (४) राजव था ये चार विकथाये, (५) क्रोध, (६) मान, (७) माया, (८) लोभ ये चार कषाये, (e) स्पर्शनेन्द्रियवशता, (१०) रसनेन्द्रियवशता, (११) घ्राणेन्द्रियवशता, (१२) चक्षुरिन्द्रियवशना, (१३) श्रोत्रेन्द्रियवशता ये पाच इन्द्रियवशता तथा (१४) निद्रा व (१५) स्नेह |
प्रश्न ४६ - स्त्रीकथा किसे कहते है ?
उत्तर- स्त्रीके सुन्दर रूप, कला, चातुर्य श्रादिकी रागभरी कथा करनेको स्त्रीकथा कहते है ।
प्रश्न ५०-- देशकथा विसे कहते है ?
उत्तर - देश विदेशोके स्थान, महल, चाल-चलन, नीति श्रादिकी बातें करनेको देशकथा कहते है ।
प्रश्न ५१- भोजनकथा किसे कहते हैं ?
उत्तर - स्वादिष्ट भोजनका स्वाद, भोजन बनानेकी क्रिया, भोजनकी सामग्री आदि की चर्चा करनेको भोजनकथा कहते है ।
प्रश्न ५२ - राजकया विसे कहते हैं ?