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________________ १०२ द्रव्यसग्रह-प्रानोत्तरी टीका प्रश्न १८-समयादि व्यवहारकालके निमित्तकारण क्या क्या हो सकते है ? उत्तर-परमाणुका मन्द गतिसे एक प्रदेशसे दूसरे प्रदेशपर जाना, नेत्रकी पलक उघाडना छिद्र वाले बर्तनसे जल या रेतका गिरना, सूर्यका उदय, अस्त होना आदि अनेक पुद्गलोके परिणमन व्यवहारकालके निमित्त कारण है। (प्रश्न १६-उक्त पुद्गल परिणमन क्या कारक कारण हैं याज्ञापक कारण है ? on उत्तर- उक्त पुद्गल परिणमन समयादिके ज्ञापक कारण है, क्योकि वास्तवमे तो कालपरिणमनमे कालद्रव्य ही उपादानकारण है और कालद्रव्य ही निमित्त कारण है। प्रश्न २०- इस तरह तो जीवादिके परिणमनमे कालद्रव्य भी ज्ञापक कारण होना चाहिये उत्तर-काल परिणमन सदृश है तथा कालद्रव्यके ज्ञापकताकी कोई व्याप्ति भी नही बनती, अतः वह जीवादिपरिणमनका ज्ञापक कारण नहीं बन सकता। प्रश्न २१-इस गाथासे हमे क्या ध्येय स्वीकार करना चाहिये ? उत्तर-यद्यपि काललब्धिको निमित्त पाकर भी निजशुद्धात्माके सम्यक् श्रदान, ज्ञान आचरणरूप मोक्षमार्ग पाता है, किन्तु वहाँ प्रात्मा ही उपादानकारण और उपादेय मानना चाहिये, काल बाह्यतत्त्व होनेसे हेय ही है। इस प्रकार कालद्रव्यका स्वरूप बताकर अब उनकी संख्या व स्थान बताते है लोयायास पदेमे इविकक्के जे ठिण हु इक्केक्का । रयणाण रासी इव से कालाणू असखदव्वाणि ॥२२॥ अन्वय-इक्किक्के लोयायास पदेसे रयणाण रासी इव इक्का हु ठिया कालागु ते असखदव्वारिण। अर्थ-एक-एक लोकाकाशके प्रदेशपर रत्नोकी राशिके समान भिन्न-भिन्न एक-एक स्थित कालद्रव्य है और वे असख्यात है। जश्न १-- कोलद्रव्यको कालाणु क्यो कहते है ? उत्तर-कालद्रय एकप्रदेशी है अथवा परमाणु मात्रके प्रमाणका है, इसलिये इसे कालाणु कहते है । एक कालापूर द्रव्य प्रश्न २- अणु कितने तरहसे होते है ? Fro उत्तर-- अणु चार प्रकारसे देखे जाते है- (१) द्रव्याण, (२) क्षेत्राणु, (३) कालाणु और भावाणु। प्रश्न ३- द्रव्याणु किसे कहते है ? उत्तर-- जो द्रव्य याने पिण्डरूपसे अणु हो वह द्रव्यागु है । द्रव्याणु परमाणुको कहते ५२माणु the ring an aust का
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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