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________________ १०० द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका अनेक भेद है। प्रश्न ३- परिणाम आदि शब्दसे क्या क्या ग्रहण करना चाहिये ? उत्तर-परिणाम, क्रिया, परत्व अपरत्वका ग्रहण करना चाहिये । व्यवहारकाल इन लक्षणोसे जाना जाता है। प्रश्न ४- परिणाम किसे कहते है ? उत्तर-द्रव्योके परिणमनोको परिणाम कहते है। द्रव्य एक अवस्थासे दूसरी अवस्था धारण करता है । इन परिणमनोसे व्यवहारकालका निश्चय होता है। प्रश्न ५-क्रिया किसे कहते है ? उत्तर- एक क्षेत्रसे दूसरे क्षेत्रपर पहुचने तथा दूधका खलवलाना आदि हलन चलनको क्रिया कहते है । इन दो स्वरूपोके कारण क्रिया दो प्रकारकी हो जाती है- (१) देशान्तर चलनरूप, (२) परिस्पदरूप | रूपार अरोत्रान्तराल? जो सर पु attart प्रश्न ६-परत्व किसे कहते है ? उत्तर-जेठेपन या प्राचीनताको परत्व कहते है। जैसे अमुक बालक २ वर्ष जेठा है आदि। प्रश्न ७-अपरत्व किसे कहते है ? उत्तर- लहरेपन या अर्वाचीनता याने नवीनताको अपरत्व कहते । जैसे अमुक बालक २ वर्ष लहुरा है याने छोटा है आदि । प्रश्न ८-वर्तना किसे कहते है ? उत्तर-पदार्थके परिणमनमे सहकारी कारण होनेको वर्तना कहते हैं । प्रश्न 8-- निश्चयकाल किसे कहते है ? ८... उत्तर-समय, मिनट आदि जिसकी पर्यायें होती है उस द्रव्यको निश्चयकाल कहते॥ है। यह काल द्रव्य समस्त पदार्थोके परिणमनका सहकारी निमित्तकारण है, यही वर्तना/ काल द्रव्यका लक्षण है। प्रश्न १०-क्या वर्तना व्यवहारकालका लक्षण नही है ? उत्तर-वर्तना व्यवहारकालका भी लक्षण है, उस वर्तनाका अर्थ है एक समय मात्र का परिणमना । इससे समय नामका अनुपरित व्यवहारकाल जाना जाता है। प्रश्न ११-समयका कितना परिमाण है ? Some - उत्तर- एक परमाणु मद गनिसे एक प्रदेशसे दूसरे प्रदेशपर पहुचे उसमे जो काल व्यतीत होता है वह समय है । (अथवा नेत्रकी पलक गिरनेमे जितना काल लगता है वह असख्यात प्रावली प्रमाण है और एक आवलीमे असख्यात समय होते हैं सो पावलीके प्रस
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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