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ॐ नम सिध्देम्य.
समयसार-वैभव
(आध्यात्मिक काव्य)
मूलकर्ताश्रीमद्भगवत्कुंदकुंराचार्य
अनुसानाथूराम डोगरीय जैन जीवाजीवाधिकार
मगलाचरण एव ग्रन्थकर्ता की प्रतिज्ञा अनुपम, अचल, अमल, अविनश्वर-गतिसंप्राप्त, सहज अभिराम, मंगलमय, भगवन् महामहिम-सिद्ध-वंदना कर निष्कामश्रुतकेवलि-प्रतिपादित, पावन, परंज्योति, विज्ञाननिधान"समयसार-वैभव" दरशाऊँ-मोह महातम नाशन भान । (1) अचल-परिभ्रमण रहित । प्रतिपादित-कथित । भान-सूर्य ।