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________________ वीर सेवा मन्दिर दिल्ली पस्थित है। यदि इसके गड़े तो उसे मन में ही क्रम सख्या काल न. .. खण्ड सन्देश प्राप्त हो रहे है, 1309 2 जैन । सरल भाषा मे भावार्थ भी आसान बन जाय । श्रम, समय और आर्थिक से कम आर्थिक चिताओ ही इस कार्य को सम्पन्न योग देने को तत्पर होंलेखक को सूचित करने का कष्ट करें। • यह ग्रंथ प्रत्येक जैन के घर पहुंच जावे इसके लिये स्थानीय संस्थाओं एवं प्रतिष्ठित महानुभावों को व्यवस्था कर लेखक को सूचना देना पर्याप्त होगा। • यदि कोई दानवीर (एक या अनक) जैन समाज के पत्र - पत्रिकाओं के ग्राहको के लिये अपनी ओर से उपहार स्वरूप प्रथ को भेट करना चाहें तो आसानी से ग्रंथ गाँव २ पहुंच जावे ।जिनकी रुचि हो सूचना देने की कृपा करें। आप अपने यहाँ आयोजित उत्सवों में भी अतिथियों को यह ग्रंथ उपहार में दे सकते हैं। -प्रकाशक
SR No.010791
Book TitleSamaysar Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Dongariya Jain
PublisherJain Dharm Prakashan Karyalaya
Publication Year1970
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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