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टिप्पणियाँ
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७-प्रतिमा · श्रावकोंकी ग्यारह प्रतिमाएँ ।-१-दर्शनप्रतिमा [सम्यक्त्व का एक महीने तक निरविचार पालन करना २-व्रतप्रतिमा(स्वीकार किये हुये अणुव्रतोंका दो महीने तक निरतिचारपालन करना) ३-सामायिक प्रतिमा (तीन महीने तक सामायिकका निरतिचार पालना) ४-पौषधप्रतिमा (चार मास तक .
आठम, चौदस, अमावस और पूनमके दिन पूर्णरूपसे पौषध लेना) ५-कायोत्सर्ग प्रतिमा (पाँच महीने तक स्थिर रहकर जिन भगवानका ध्यान करना, स्नान न करना, रातको भोजर न करना, दिनमें सर्वथा ब्रह्मचर्य पालना, रातमें मर्यादित ब्रह पर्य पालना, अपने दोषोंका निरीक्षण करना और लाँग खुत रखना) ६-ब्रह्मचर्य प्रतिमा (छः महीने तक श्रृंगार और मांसंगका त्याग करना) ७-सचित्त आहारवर्जन प्रतिमा (सत महीने तक सचित्त वस्तु न खाना) --स्वयं आरम्भ वनप्रतिमा (थाठ महीने तक स्वयं कोई ऐसा काम न करना जिस से पापात्रव हो)-भृतक प्रेप्यारंभ वर्जन प्रतिमा (नौ महीने तक नौकरों या अन्य लोगोंके द्वारा भी कोई ऐसा काम न कराना जिसस पापात्रव हो) १०-उद्दिष्ट भक्त वर्जन प्रतिमा (दस महीने तक अपने उद्देशसे बनाया हुआ भोजन न करना, सिर मुंडा हुआ रखना या सिर्फ चोटी रखना) ११-श्रमणभूत प्रतिमा (ग्यारह महीने तक साधुके समान आचरण रखना)
नई प्रतिमा धारण करने पर भी पहले की प्रतिमाएँ चाल, रखी जाती हैं।
[अध्यापक बेचरदासजी दोपी द्वारा अनुवादित भगवान महा. वोरना दस उपासको' नामक गुजराती पुस्तकसे अनुवादित । ]