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त्रियष्टि शलाका पुनय-चरित्र
चित्रादिन र चानी आदि बनाना, 2. नाव्य-अभिनयवाज़ा और अभिनय विना का नाच, ५. गीत, ३. वादित्र, ७, स्वरगत-संगीतके मान वगैचा बान,.पुष्कररात-मृदंग वारहवज्ञानका बान, समतालायन वगैरहके तालकाबान, १०, जून-जुश्रा, ११. जनवाद-गक तहका जूत्रा, १३. पाशकपासा, १३. अष्टापन-चापड़, १२. पुरःशान्य-शीन कवित्व, १५. निका-मिली हुई चीजोंको अलग करनेकी विद्या, १६. अन्न-विवि-पाकत्रिया-मोजन बनानंचा बान, १७. पानविधि-पानी मात्र नेत्री और सगुण-दोय जाननेत्री विद्या, १८, बन्छ विधि-बन्न पहननेकी विद्या, १६. विजेपन विधि, २०.शयनविधि-पलंग, गहा, तक्रिया वगैरह प्रमाण का और केस मोना चाहिए इसच्चा ज्ञान, २१. बाया-बाया छंदके भेद-प्रमेदोंका ज्ञान, २२. प्रहलिका-पहेली समस्या [२३. सागधिचा, २2. गाया, २२. गीति, २६. मोक-गरा में भेद-प्रमदांचा बान, २७. हिरण्ययुक्ति-चाँदी क्रीन
नसेनबर किन क्रिस जगह पहनने चाहिए इसका वान,' स. स्वाति-मानक कोन कोनडे जेवर किन किन नगी पहनने चाहिए इसका ज्ञान, २६. गायुति-स्नान, मंजन वगैरह ग वनानकाद्वान,३०. यामरण विधि, ३१. तुकणी प्रतिकर्म-युवतीक कण बगैग बढ़ाना झान, [३२. बी, ३२. पुन्य, ३२.य, ३५.गन, ३३. गाय, ३७. डुक्कर-सूत्रा, २८. छत्र, ३६. ईट, 29, अनि, ११. मणि, ४२, काकपासन-इन ग्यारह मानुनिक शान्त्र बनाए हुए लचगों काद्वान, ४. वान्नुत्रिया-वह विद्या जिससे इमारवंसे मन्वन्ध रखने वाली सभी त्रातांक द्वान होता है, 22. कंबा