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श्री अजितनाथ-चरित्र
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दो कि इस नगरमें बारह बरस तक चुंगी नहीं ली जाएगी, कोई सुभट इसमें प्रवेश न करेगा, किसीको सजा नहीं दी जाएगी और हमेशा उत्सव होता रहेगा।"
नगरके अध्यक्षने, अपने आदमियोंको हाथीपर बिठाकर, सारे नगरमें राजाज्ञाकी घोपणा करा दी। इस तरह स्वर्गनगरीके विलास वैभवको चुरानेके व्रतवाली (अर्थात उसके जैसी) विनीता नगरीमें छह खंड पृथ्वीके स्वामी महाराजा सगरका चक्रवर्तीपदाभिषेक सूचित करनेवाला उत्सव बारह वर्ष तक हरेक दुकानमें, हरेक मकानमें और हरेक रस्में होता रहा
(३४६-३७०) .: आचार्य श्री हेमचंद्र विरचित त्रिषष्टिशलाका...... पुरुष चरित्र महाकाव्यके दूसरे पर्वमें
सगरका दिग्विजय व चक्रवर्तीपदाभिषेक वर्णन नामका चौथा सर्ग
समाप्त हुआ। - 卐