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श्री अजितनाथ-चरित्र
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और लवणसमुद्रसे संबंध रखनेवाले सभी नाम, क्षेत्र, द्वीप और समुद्रके विभागोंसे हैं। ( ६५३-६६३)
__ "मनुष्यों के दो भेद है-आर्य और म्लेच्छ । क्षेत्र,जाति, कुल, कर्म, शिल्प और भाषाके भेदसे आर्य छ:, तरहके हैं । क्षेत्र
आर्य पंद्रह कर्मभूमियोंमें उत्पन्न होते हैं. उनमेंसे इस भरतक्षेत्र. के साढ़े पच्चीस देशोंमें जन्मे हुए आर्य कहलाते हैं । ये आर्यदेश अपनी नगरियोंसे इस तरह पहचाने जाते हैं । (१) राजगृही नगरीसे मगधदेश । (२) चंपानगरीसे अंगदेश । (३) ताम्रलिप्तिसे बंगदेश । (४) वाराणसीसे काशीदेश। (५) कांचनपुरीसे कलिंगदेश । (६) साकेतपुरीसे कोशलदेश। (७) हस्तिनापुरसे कुरुदेश । (८) शौर्यपुरीसे कुशादेश । (E) काँपिल्यपुरीसे पंचालदेश । (१०) अहिच्छत्रापुरीसे जाँगलदेश। (११) मिथिलापुरीसे विदेहदेश । (१२) द्वारावतीपुरीसे सौराष्ट्रदेश । (१३) कौशांबीपुरीसे वत्सदेश । (१४) भद्रिलपुरीसे मलयदेश । (१५) नांदीपुरीसे संदर्भदेश। (१६) पुनरुच्छापुरीसे वरुणदेश । (१७) वैराटनगरीसे मत्स्यदेश। (१८) शुक्तिमती नगरीसे चेदीदेश । (१६) मृत्तिकावती नगरीसे दशाणदेश । (२०) वीतभयपुरीसे सिंधुदेश। (२१) मथुरापुरीसे सौवीरदेश । (२२) अपापापुरीसे सूरसेनदेश । (२३) भंगीपुरीसे मासपुरीवतदेश । (२४) श्रावस्तिपुरीसे कुणालदेश। (२५) कोटिवर्षपुरीसे लाटदेश।
और (२६) श्वेतांबीपुरीसे केतकार्धदेश। इस तरह साढ़े पच्चीस देश इन नगरियों के नामोंसे पहचाने जाते हैं। तीर्थंकरों, चक्रवर्तियों, वासुदेवों और वलभद्रोंके जन्म इन्हीं देशों में होते हैं । इक्ष्वाकुवंश,
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