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६५० ] त्रिषष्टि शलाका पुरुष-चरित्रः पर्ष २. सर्ग ३.
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नामका पर्वत रौप्यमय है और प्रमाणमें महाहिमवंतके समान है! छठा शिग्री पर्वत स्वर्णमय है और प्रमाणमें हिमवंतके समान हैं। उन सब पवंतांक पाश्वभाग विचित्र प्रकारकी मणियोंसे मुशोमिन हैं। क्षुद्र हिमवन पर्वतपर एक हजार योजन लंबा और पाँच सौ योजन चौड़ा पद्म नामका एक बड़ा सरोवर है। महाहिमवंत पवनपर महापन नामका सरोवर है। वह लंबाई चौड़ाई में पनसरोवरसे दुगना है। नियध पर्वतपर तिगंछी नामका सरोवर है वह महापनसे दुगना है। नीलवंत गिरिपर केसरी नामका सरोवर है । वह निगछाके समान लंबा, चौड़ा है। कमी पर्वतपर महापुंडरीक सरोवर है। वह महापद्मके समान लंबा चौड़ा है। शिखरी पर्वतपर पुंडरीक सरोवर है। वह पन सरोवरके समान लंबा चौड़ा है। इन पद्मादिक सरोवरोंमें जल के अंदर दस योजन गहर विकसित ऋमल हैं। इन छहॉ सरोवमि क्रमश: श्री, ह्री, वृति, कीर्ति वृद्धि और लक्ष्मी नामकी देवियाँ रहती हैं। उनकी आयु पल्योपमकी है। उन देवियों के पास सामानिक देव तीन, पर्षदायांक देव,आत्मरक्षकदेव और सेना है। (५६-५७)
"भरतक्षेत्रमें गंगा और सिंधु नामकी दो बड़ी नदियाँ हैं। हेमवंत क्षेत्रमें रोहिता और रोहिताशा नामकी दो नदियाँ हैं: हरित्रप क्षेत्रमें हरिसलिला और हरिकांना नामकी दो नदियाँ हैं; महाविदेह क्षेत्रमें सीता और सीतोदा नामकी दो बड़ी नदियाँ है, रम्यक क्षेत्रमें नरकांता और नारीकांता नामकी दो नदियाँ है। हरण्यवन क्षेत्रमें स्वणकला और रौप्यकूता नामकी दोनदियाँ