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स्वर तीसरा अजितकुमार और सगरकुमारका वृत्तांत इंद्रकी आज्ञासे श्राई हुई पाँच धाएँ, प्रभुकी और राजाकी श्राज्ञासे आई हुई धाएँ सगरकुमारका लालन-पालन करने लगी । इंद्रने अजित प्रभुके हस्तकमलके अंगूठेमें अमृतका संचार किया था। वे उसको पीते थे। कारण,-तीर्थकर स्तनपान नहीं करते।
बागके पेड़ जैसे नहरका पानी पीते हैं वैसेही सगर कुमार धायका अनिदित स्तनपान करते थे। पढ़की दो शाखाओंकी तरहबाहाथीके दो दाँतोंकी तरह,दोनों राजकुमार प्रति दिनबढ़ने लगे। पर्वतपर से सिंहके बच्चे चढ़ते हैं वैसेही, दोनों राजकुमार बढ़ते हुए राजाकी गोदमें चढ़ने लगे। उनकी मुग्ध करने वाली इसीसे माता-पिता खुश होते और उनकी वीरतादर्शक चालसे अचरज करते। केसरी सिंहके-कुमार से पिंजरेमें नहीं पड़े रहते वैसेही, दोनों राजकुमार भी धाएँ बार बार पकड़कर उनको अपनी गोदमें बिठाती थी; मगर वे निकलकर भाग जातं थे। वे स्वच्छंदतापूर्वक इधर उधर दीढ़ते थे। घाएँ उनके पीछे, दौड़ती थीं और थक लाती थीं। कारण,
___ "चयो गौणं महात्मनाम् । [महात्माओंके वयकी बात गौण होती है। वेगमें वायुकुमारको पीछे छोड़नेवाले, दोनों रालकृमार खेलनेके लिए दौड़