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भ० ऋषभनाथका वृत्तांत -
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नवें वलदेव होंगे। उनकी आयु बारह सौ बरसकी होगी।
(३५८-३६६) ... इनमें से आठ बलदेव मोक्षमें जाएँगे और नवें बलदेव
पाँचवें देवलोकमें जाएंगे और वहाँसे आगामी उत्सर्पिणी में इसी ..भरतक्षेत्र में उत्पन्न होकर कृष्ण नामक तीर्थंकरके तीर्थमें सिद्ध होंगे । (३६७) . अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधु, निष्कुंभ, बलि, प्रह्लाद, रावण, और मगधेश्वर (प्रसिद्ध नाम जरासंध ) ये नौ प्रतिवासुदेव' होंगे। वे चक्रसे प्रहार करनेवाले यानी चक्रके शस्त्रवाले होंगे और उनको उन्हींके चकसे वासुदेव मार डालेंगे।
(३६८-३६६ ) ... इस तरह प्रभुकी बातें सुनकर और भव्य जीवोंसे भरी
हुई सभाको देख, आनंदित हो भरतपतिने प्रभुसे पूछा,"हे जग. पति! मानो तीनों लोक जमा हुए हों इस तरह इस तियंच, नर और देवमय सभामें कोई ऐसा आत्मा भी है जो आप भगवानकी तरहही तीर्थकी स्थापना कर, इस भरतक्षेत्रको पवित्र करेगा। (३७०-३७२ )
प्रभुने कहा, "यह तुम्हारा मरीचि नामक पुत्र-जो प्रथम परिव्राजक (त्रिदंडी) हुआ है-आर्त और रौद्रध्यानसे रहित हो, सम्यक्त्वसे सुशोभित हो, चतुर्विध धर्मध्यानका एकांत में ध्यान करके रहता है। इसका जीत्र कीचड़से रेशमी वस्त्रकी तरह और नि:श्वाससे. दर्पणकी तरह अवतक कर्मसे मलिन है।
१-प्रतिवासुदेव नरकमेंही जाते हैं। .