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भ० ऋषभनाथका वृत्तांत
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६- कोशांबी नगरी में धर राजा और सुसीमादेवीके पुत्र पद्मप्रभ नामक छठे तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति लाल, आयु तीस लाख पूर्वकी, काया ढाईसौ धनुषकी और व्रत पर्याय सोलह पूर्वांग ( तेरह करोड़ चवालीस लाख बरस ) कम एक लाख पूर्वकी होगी । सुमतिनाथ और पद्मप्रभके निर्वाणकालका अंतर नव्ये हजार कोटि सागरोपमका होगा । ( २८७ - २८८ )
७ - वाराणसी (बनारस) नगरीमें प्रतिष्ठ राजा और पृथ्वी रानीके पुत्र सुपार्श्व नामक सातवें तीर्थंकर होंगे । उनकी कांति सोनेके जैसी, आयु बीस लाख पूर्वकी, काया दो सौ धनुषकी और दीक्षा पर्याय बीस पूर्वांग ( १६ करोड़ ८० लाख बरस) कम एक लाख पूर्व होगी । पद्मप्रभके और सुपार्श्वनाथके निर्वाणकालका अन्तर नौ हजार कोटि सागरोपमका होगा । ( २८६--१० ) = -चंद्रानन नगर में महासेन राजा और लक्ष्मण देवी के पुत्र चंद्रप्रभ नामक आठवें तीर्थकर होंगे। उनकी कांति सफेद, आयु दस लाख पूर्व, काया डेढ़ सौ धनुष और व्रतपर्याय चौबीस पूर्वाग ( दो करोड़ सोलह लाख बरस) कम एक लाख पूर्व होगी। सुपार्श्वनाथ और चंद्रप्रभुके निर्वाणकालका अंतर नौ सौ कोटि सागरोपमका होगा । ( २६१-२६२ )
६- काकँदी नगरी में सुग्रीव राजा और रामादेवीके पुत्र सुविधि नामक नवें तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति श्वेत, आयु दो लाख पूर्व, काया एक सौ धनुष और व्रतपर्याय अठाईस पूर्वाग ( तेईस करोड़ बावन लाख बरस ) कम एक लाख पूर्व