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३४६ ] त्रिषष्टि शलाका पुरुष-चरित्रः पर्व १. सर्ग ४.
हजार वर्षक विरहसे महाराजाके दर्शनोंको उत्सुक बने हुए सभी संबंधियोंको उनके सामने उपस्थित किया। उनमें सबसे पहले बाहुबलीके साथ जन्मी हुई गुणांसे सुंदर ऐसी मुंदरीका नामसहित परिचय कराया। वह मुंदरी गरमीके मौसमसे थाक्रांत हुई नदीकी तरह दुबली हो रही थी। हिमके संपर्कसे जैसे कमलिनी मुर्मा जाती है वैसेंही वह मुझाई हुई थी । हेमंत ऋतुके चंद्रमाकी कलाकी तरह उसका रूप-लावण्य नष्ट हो गया था और सूखे हुए पत्तांवाले कनकी तरह उसके गाल फीके श्रीर कृश हो गए थे।
सुंदरीकी हालत इस तरह बदली हुई दंग्स महाराज गुस्से हुए और उन्होंने अपने अधिकारी पुस्यांसे कहा, "क्यॉजी ? क्या हमार चरम अच्छा अनाज नहीं है? लवण समुद्रम लवण (नमक) नहीं रहा ? पौष्टिक चीजें बनानवाने रसोइए नहीं है? या वे लापरवाह और भाजीविका तस्करके समान हो गए हैं ? दाखें और खजूर वगैरा खाने लायक मेवा अपने यहाँ नहीं है ? सोनके पर्वतम सोना नहीं है। बगीचोंमें वृक्षांन फल देना बंद क्रिया! नंदनवन में भी वृक्ष नहीं फलतं ? घडॉक समान थनावाली गाएँ क्या दृध नहीं देती ? कामधेनुकं स्तनका प्रवाह क्या सूख गया है ? अथवा सब चीजोंक होते हुए भी क्या मुंदरी बीमार हो गई थी इससे कुछ खाती न थी? अगर शरीरकी सुन्दरताको चुरानेवाला कोई रोग उसके शरीरमें हो गया था (उसको मिटानवाल वैद्य नहीं रहे?)क्या सभी वैद्य कथावशेष'
. १-ऋथायमिं जिनके नाम यांत हाँ; मगर निनका शत्र अस्तित्व न रहा हो ऐमें।
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