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२०.] त्रिषष्टि शनाका पुरुष-चरित्र: पर्व १. जग २.
जब प्रभु बीनलाल वची आयुक हुए तत्र व प्रजात्रा पाननं न्तिप गाजा वन मंत्रीम ॐनारमही राजाओंने प्रथम गाजा गले श्रम धनु अपनी संतानची रह प्रजाका पालन करने लगे। उन्होंने अमल्योंको सजा देनेलिया और मुत्युन्यांचा पालन ऋग्न लिग ञ्चन जानेवाले मंत्री नियुक्त किए। वे प्रमुक अंगम नाचून होने थे! इंक लोकयान्नोंत्री नन्ह, महागज ऋषमंदवने अपने गन्यमं चोरी वांगन रहा करने, ऋदुर चौकीदार नियत किन ! गन्ति मनान प्रभुने गन्यकी स्थिनिक लिए, मगरके विषयने रचनांग लिरकी नन्ह मनानं उत्कृष्ट अंगवर वायी रन्छ । सुर्य बोलि पा करने वान ॐत्री वाले, च जानिक बाडांची प्रभु बुसान बनवाई। नाभिनंदननं अच्छी लकड़ी सुशिष्ट (अच्छी तरह जुड़े हुम) सुंदर ग्ध वनवाण ! चक्रवर्ती पत्र में एकत्र ऋग्ने है बैं, जिनकी शनिकी अच्छी नन्ह परीक्षा हो चुरी है गली पैदल सेना भी नाभिपुत्रने जमा की मने जो सेनापति नियन शिन व नवीन मात्र ज्यनमसे मान होने और गान मैंन, चैन, डहर ऊँ गैंग पशु मी, उनका उपयोग जाननेबाल मनुने एकत्र किए। (६२-६३)
उन लमय शुत्रविहीन बंशी तह मन नष्ट हो गए थे, इनलिप लोग कंद-मूल प्लादि वादे थे। वही शालि (चावल, गहै. चने और मूंग अादि अनाज भी अपने आप यानी ह उगने लगा था। उन्ले वे युगलिए चाही यात थे। यह मचा उनको जन नहीं हुआ इसलिए उन्होंने ग्रस तक यह बान पहुँचाई । मनुने बताया, "उनको मलकर, उसके छिलके