________________
.
सागरचंद्रका वृत्तांत
[१५५
नंदीश्वर द्वीपपर श्रा, उस द्वीपके ईशानकोनके रतिकर पर्वतपर सौधर्मेंद्रकी तरह अपने विमानको छोटा.वना, भक्तिभरे हृदयके साथ भगवानके पास आया । . सनत्कुमार नामका इंद्र भी अपने बारह लाख विमानवासी देवोंके साथ सुमन नामके विमानमें बैठकर आया । - महेंद्र नामका इंद्र आठलाख विमानवासी देवताओंके साथ श्रीवत्स नामके विमानमें बैठकर मनकी तरह शीघ्रही वहाँ आया।
ब्रहेंद्र नामका इंद्र चारलाख विमानवासी देवताओंके साथ नंद्यावर्त नामके विमानमें बैठकर प्रभुके पास आया।
लांतक नामका इंद्र पचासहजार विमानवासी देवोंके साथ कामगव नामके विमानमें बैठकर जिनेश्वरके पास आया।
शुक्र नामका इंद्र चालीसहजार विमानवासी देवोंके साथ पीतिगम नामके विमानमें बैठकर मेरुपर्वतपर आया।
सहस्रार नामका इंद्र छःहजार विमानवासी देवताओंके साथ मनोरम नामके विमानमें बैठकर जिनेश्वरके पास आया।
पानत प्राणत देवलोकका इंद्र चारसौ विमानवासी देवों.. के साथ अपने विमल नामके विमानमें बैठकर आया।
और आरणाच्युत देवलोकका इंद्र भी तीनसौ विमानवासी देवोंके साथ अपने अतिवेगवाले (तेज चालवाले ) सर्वतोभद्र नामके विमानमें बैठकर आया । (४३१-४४२).