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१३२] त्रिपष्टि शलाका पुरुप-चरित्र: पर्व'
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छठा मरुदेव कुलकर कुछ कालके बाद युग्म दंपतिकी आयु कम रही तव चक्षुकांताने स्त्री-पुरुषरुप युग्मको जन्म दिया। साढ़ेपाँचसा प्रमाण शरीरवाले वे वृन और छायाकी तरह क्रमशः बढ़ने लगे। वह युग्मधर्मी मरुदेव और श्रीकांताके नामसे इस लोकमें प्रसिद्ध हुए । सुवर्णके समान कांतिवाला वह' मरुदेव अपनी प्रिय. गुलताके समान प्रियाके साथ इस तरह शोभने लगा जैसे नंदनवनकी वृक्षश्रेणीसे (पेड़ोंकी कतारसे ) कनकाचल (मेन) पर्वत शोभता है । (१६५-१६८)
आयु पूर्णकर प्रसेनजित द्वीपकुमार देवोंमें और चक्षुकांता नागकुमार देवोंमें उत्पन्न हुए। (१६६) ___ मनदेव प्रसेनजितकी दंडनीतिसे ही, इंद्र जैसे देवताओंको दंड देता है वैसेही, युगलियोंको दंड देकर वशमें रखने लगा।
(२००) सातवाँ नामि कुलकर आयु पूर्ण होने में थोड़ा समय बाकी रहा तब मरुदेवकी प्रिया श्रीकांताने एक युगलको जन्म दिया 1 पुरुषका नाम नाभि
और बीका मरुदेवा रखा गया। सवापाँचसौ प्रमाण ऊँचे शरीरवाले वे क्षमा और संयमकी तरह एक साथ बढ़ने लगे। मनदेवा प्रियंगुलताके समान और नामि सुवर्णके समान कांतिवाले थे, इससे वे अपने मातापिताके प्रतिबिंबके समान सुशोभित होते थे। उन महात्मायोंकी श्रायु अपने मातापिता-ममदेव और