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________________ वारह चक्रवर्ती २८९ ८१ शैलविचारी ८२ अरिंजय ८३ कुजरवल ८४ जयदेव ८५ नागदत्त ८६ काश्यप ८७ बल ८८ वीर ८९ शुभमति ९० सुमति ९१ पद्मनाभ ९२ सिह ९३ सुजाति ९४ संजय ९५ सुनाभ ९६ नरदेव ९७ चित्तहर ९८ सुरवर ९९ दृढरथ १०० और प्रभजन । महारानी सुनन्दा ने भी गर्भ धारण किया। सुबाहु तथा महापीठ के जीव सर्वार्थसिद्ध विमान से च्युत होकर महारानी सुनन्दा के गर्भ में उत्पन्न हुए । गर्भकाल पूर्ण होने पर महारानी सुनन्दा ने एक सुन्दर आकृति वाली युगल सन्तान को जन्म दिया । उनमें एक वालक और एक बालिका थी। सुवाहु का जीव वालक बना और महापीठ का जीव वालिका बनी। बालक का नाम बाहुबली और बालिका का नाम सुन्दरी रखा । विन्ध्याचल के हाथियों के बच्चों की तरह ये महापराक्रमी वालक क्रमश. बढ़ने लगे। भगवान ऋषभदेव ने दीक्षा लेने से पहले ही अपने सौ पुत्रों को अलग-अलग राज्य वाँट दिया । भरत को विनीता का और वाहुबली को तक्षशिला का तथा अन्य ९८ पुत्रों को अलग-अलग नगरों का राज्य दे दिया । पुत्रों को राज्य देकर भगवान ने प्रव्रज्या ग्रहण कर ली और वे आत्म साधना में जुट गये । भरत विनीता में रहकर राज्य का संचालन करने लगे । एकवार उनकी आयुधशाला में चक्ररत्न उत्पन्न हुआ । आयुधशाला के अध्यक्ष से चक्ररत्न की उत्पत्ति सुनकर भरत राजा अत्यन्त प्रसन्न हुए। वे तुरत अपने सिंहासन से उठे, एक शाटिक उत्तरासग धारण कर, हाथ जोड चक्ररत्न की ओर सात आठ पग चले और वायें घुटने को मोड़ तथा दाहिने को भूमिपर लगाकर चकरत्न को प्रणाम किया । तत्पश्चात् उन्होंने अपने कौटुम्विक पुरुष को बुलाकर विनीता नगरी को साफ और स्वच्छ करने का आदेश दिया । भरत ने स्नान घर में १९
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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