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पूर्व
तीर्थकर चरित्र
२८७ क्रमांक द्वोप विजय नगरी ऊँचाई वर्ण ५धात की खण्ड पूर्व महाविदेह पुष्कलावतो पुण्डरिकिणी ५००धनुष सुवर्ण
पश्चिम , वपु विजया , , ७ , पूर्व , वच्छ सुसीमा , , ८ , पश्चिम , नलिनी अयोध्या , , ९ , पूर्व , पुष्कलावती पुण्डरिकिणी ,, १० , पश्चिम , वपु विजया
पूर्व , वच्छ सुसीमा १२ , पश्चिम , नलिनी अयोध्या १३ पुष्कराईद्वीप पूर्व महाविदेह पुष्कलावती पुण्डरिकिणी १४ , पश्चिम , वपु विजया
वच्छ सुसीमा , पश्चिम , नलिनी अयोध्या १७ , पूर्व , पुष्कलावती पुण्डरिकिणी ,, १८ , पश्चिम , वपु विजया
, पूर्व , वच्छ सुसीमा , , ___, पश्चिम , नलिनी अयोध्या नोट:- (१) नं. १, २, ३ एवं ४, ये चारों तीर्थङ्कर जम्बूद्वीप
के सुदर्शन मेरु की चारों दिशा में विचर रहे हैं। (२) नं. ५, ६, ७ एवं ८, ये चारों तीर्थंकर धातकीखण्ड के पूर्व
महाविदेह के विजय मेरु के पास विचरते हैं । (३) नं. ९, १०, ११ एवं १२, ये चारों तीर्थकर धातकी खण्ड के
___पश्चिम महाविदेह के अचल मेरु के पास विचरते हैं। (४) नं. १३, १४, १५ एवं १६, ये चारों तीर्थंकर पुष्करार्धद्वीप के
पूर्व दिशा में मंदिर नाम मेरु के पास विचरते हैं। (५) नं. १७, १८, १९ एवं २०, ये चारों तीर्थंकर पुष्करार्धद्वीप के
पश्चिम दिशा में विद्युन्माली मेह के पास विचरते हैं।