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५२८
जक साय मक्षा
साया
कती
क्षमा करती
याग
५३६
योग कर्मों
दर्घदन्त
५४३
दीर्घदन्त
.
५४३ ५४७
सार्थवाहा वोली
सार्थवाही. बोली
५४९
त्याग
५४९
थारिणी
धारिणी एक
५५०
५५३
प्राप्त सोचने
सोवने पलस्वत संत्ति
फलस्वरूप
संपत्ति प्राप्त
नगरा
५५९
नगरी
५५९
भ्रमण
श्रवण उहोने कहवीर प्रधान श्रेष्ठी
उन्होंने महावीर
५६० ५६१
प्रधान
श्रेष्ठ