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________________ गुरुदेव श्री रत्न मुनि स्मृति-प्रन्थ आगरा की लोहामडी तो अद्यावधि तक उनको अपने हृदय-पथ पर अक्षुण्ण बनाए हुए है। आज भी लोहामडी श्री सघ उन्ही के नाम से ही रत्लमुनि स्कूल आदि अनेक-अनेक संस्थाएं चलाए हुए है। अभी वैशाख मे ही उनकी पुण्य शताब्दी मनाने का आयोजन भी लोहामण्डी संघ वडे ही उत्साह पूर्वक जोर-जोर से कर रहा है। साथ ही उनकी स्मृतियो को चिरस्थायी रखने के लिए स्मृति-अन्य का प्रकाशन भी कर रहा है । अधिक क्या ? बस उनके तप त्यागमय जीवन का स्मरण करते हुए मैं इन्ही थोडे से शब्दो के साथ अपनी भाव श्रद्धाञ्जलि उनके श्री चरणो मे समर्पित करता हूँ। गुरुदेव ! मेरा शत-शत प्रणाम महासती श्री ललित कुमारी नी शास्त्री साहित्यरत्न हे ज्योति-पुञ्ज । हे युगावतार । गुरुदेव ! मेरा शत-शत प्रणाम । हे जन-जीवन के कर्णधार । भुक्ति-मुक्ति के तुम दिव्य-धाम !! जान-क्रिया के साधक तुम, आधार बने अपने युग के। भक्ति-भाव से अर्पित हैं, ये श्रद्धा-कण मेरे मन के ॥ अभिवन्दन है तुमको मेरा, इस रत्न-शती की वेला मे। जन-जन का मन पुलकित है, इस पुण्य-शती की रेला मे ।।
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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