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श्रद्धाञ्जलि समर्पण
श्री कौतिचन्द्र जी "यश"
अद्यावधि शुभ कीति पताका, जिनकी जग मे छाई है। जिनके तप पूत जीवन की, महिमा जगने गाई है।
सद्गुण ज्योति चाकचक्य मे, जिनका जन्म चमत्कृत है। महद् उपकारो से जिनके, यह जैन जगत अति उपकृत है ।।
'रत्लचन्द्र मुनि' नाम जिन्हो का, पावन मगलकारी है।
सुखदाता दुखत्राता जग मे, भव्य भय-सकटहारी है । उज्ज्वल पावन जीवन जिनका, जैसे निर्मल दर्पण है। 'कीर्तिमुनि' करता उनको निज, श्रद्धाञ्जलि समर्पण है ॥
अर्पण करता हूँ तुम्हे कुछ श्रद्धा के फूल ।
रत्नचन्द्र गुरुदेव थे तुम तो मगल मूल ॥ तुम तो मगल मूल तुम्हारा जीवन पावन । है श्रद्धा का केन्द्र और जन-जन-मन भावन ॥
कहे 'कीर्तिचन्द्र' करूं निज आतम तर्पण । कुछ श्रद्धा के फूल तुम्हे करता हूँ अर्पण ॥