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श्रद्धाञ्जलि श्री दौलतसिंह कोठारी जी
[अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुादन-आयोग] मुनि श्री रत्नचन्द्र जी महाराज १९ वीं सदी के उच्चकोटि के साधु थे। उनके उच्च प्राचार और विचार भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे। प्रात्म-भावना करते हुए भी उन्होंने अपने जीवन को मानवमात्र के उदय और कल्याण के लिए लगा दिया, विशेष रूप से पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उन्होने बड़े पैमाने पर जन जागरण का काम किया। इस भारतीय विभूति की स्मृति को बनाए रखने के लिए 'रत्नमनि स्मति-प्रथ' का आयोजन उचित ही है। इस पुनीत अवसर पर मै मुनि श्री महाराज के प्रति हृदय से श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूँ और इस स्मृति-ग्रन्थ के प्रायोजन की सफलता चाहता हूँ।
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