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________________ आचार्य हेमचन्द्र और सम्राट् कुमारपाल विजयमुनि साहित्यरत्न +++++++++++++++++++++++++++++++++ भारत का मानचित्र देखने पर तुम यह जान सकोगे, कि गुजरात कहाँ पर है ? गुजरात पश्चिम मे है। यह भारत का एक प्रसिद्ध प्रान्त है। गुजरात के उत्तर मे मालवा और राजपूताना है। दक्षिण मे महाराष्ट्र है । आज के गुजरात की अपेक्षा प्राचीन काल का गुजरात बहुत विस्तृत और विशाल था। इसके राज्य की सीमा अजमेर तक आ पहुंची थी। यह एक बहुत बड़ा राज्य था। इसकी राजधानी पाटण थी । पाटण, उस युग के प्रसिद्ध और सुन्दर नगरो मे से एक था। शिक्षा, व्यापार और कला-कौशल का यह एक मुख्य केन्द्र था। यहाँ की कला, यहाँ की सस्कृति तथा यहां की सभ्यता का प्रसार और प्रचार दूर-दूर तक फैल चुका था। शिक्षा पाने के लिए और व्यापार करने के लिए यहां पर देश-विदेश के लोग आते-जाते थे। आज भी पाटण अपने ज्ञान भण्डारो के लिए विख्यात है। ___ यहां के राजा का नाम था-जयसिंह । जयसिंह राजा शूरवीर और पराक्रमी था। वह शासन मे कुशल और व्यवहार मे चतुर था। राजनीति का वह पण्डित था। युद्ध-कला मे वह प्रवीण था। अपने आस-पास के राजाओ को युद्ध मे जीत कर जयसिह ने गुजरात को विस्तृत एव विशाल बनाया । अपने राज्य को समृद्ध और सुखी बनाने का हर प्रयत्न उसने किया था। परन्तु जयसिंह के अपनी कोई सन्तान न थी। उसके बड़े भाई का पुत्र था—कुमारपाल । कुमारपाल ही जयसिंह के राज्य का अधिकारी था। परन्तु जयसिंह कुमारपाल से प्रेम नहीं करता था। अन्दर ही अन्दर वह कुमारपाल से घृणा करता था । जयसिंह के मन में कुमारपाल के प्रति क्रोध, वैर एव द्वेष बढता ही गया। उसने कुमारपाल को मरवाने के लिए अनेक बार प्रयत्न किए । किन्तु कुमारपाल बहुत सतर्क था और अपने चाचा जयसिंह की दूषित भावना से बहुत परिचित हो गया था। अपने प्राणो की रक्षा के लिए कुमारपाल को वर्षों तक अज्ञातवास में रहना पड़ा और इधर-उधर भटकना पड़ा । जीवन की रक्षा कोई सहज काम नहीं है। ४३१
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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