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भगवान् महाबीर वैशाली की दिव्य-विभूति बौद्धग्रन्थो के विशेषत दीघनिकाय के अनुशीलन से पता चलता है कि बुद्ध के समय मे वैशाली बडी समृद्धशाली नगरी थी जिसके उपनगर अनेक थे, तथा उस समय खूब प्रसिद्ध थे। वैशाली : महावीर की जन्मभूमि
___ वैशाली को हमने महावीर वर्षमान की जन्म भूमि बतलाया है, परन्तु आजकल सर्व साधारण जैनियो की मान्यता है कि बिहार मे क्यूल स्टेशन से पश्चिम आठ कोस पर स्थित लच्छुआड गाव ही महावीर की जन्म भूमि है, परन्तु सूत्रो की आलोचना से यह मान्यता निर्मूल ठहरती है। इस विषय मे ५० कल्याणविजयजी गणी ने अपने प्रामाणिक ग्रन्थ 'श्रवण भगवान् महावीर'' मे जो विचार प्रकट किए है, वे मेरी दृष्टि मे नितान्त युक्तियुक्त है
१. पहली बात ध्यान देने योग्य यह है कि सूत्रो मे महावीर विदेह के निवासी माने गए है। कल्पसूत्र में महावीर को 'विदेहे विदेहदिन्ने विदेहजच्चे विदेहसूमाले' । अर्थात् विदेहदत्त विदेहजात्य विदेहसुकुमार लिखा है । वे 'वैशालिक' भी कहे गए है । अत इन्हे विदेह की राजधानी वैशाली का निवासी मानना अनुचित नहीं है।
२ 'क्षत्रियकुण्डग्राम' के राजपुत्र जमालि ने ५०० राजपुत्रो के साथ जैन धर्म ग्रहण किया था । इससे यह कोई बडा समृद्ध नगर प्रतीत होता है। महावीर का प्राय नियम-सा था कि जहाँ कोई धनाढ्य भक्त हो, वहाँ वर्षावास करना । अत इसे क्षत्रिय कुण्डग्राम की प्रसिद्ध तथा समृद्धि के अनुकूल महावीर का वर्षावास करना नितान्त स्वाभाविक है, परन्तु यहाँ वर्षावास का बिल्कुल उल्लेख नहीं मिलता । इसका कारण क्या ? उचित तो यह मालूम पड़ता है कि यह नगर वैशाली के पास था। अत वैशाली मे वर्षावास करते समय उन्होने जो उपदेश दिया था, उससे कुण्डग्राम के निवासियो ने लाभ उठाया । अत यहाँ पृथक् रूप से वर्षावास करने का उल्लेख सूत्र-प्रन्थो मे नहीं मिलता।
३ प्रव्रज्या के अनन्तर महावीर ने जिन स्थानो पर निवास किया, उन स्थानो की भौगोलिक स्थिति पर विचार करने से स्पष्ट हो जाता है कि वे सब स्थान वैशाली के आसपास थे। दीक्षा लेने के दूसरे दिन महावीर ने कोल्लाक सनिवेश मे पारणा की थी। जैन सूत्रो के आधार पर कोल्लाक सनिवेश दो है और वे भिन्न-भिन्न स्थानो पर है-एक तो वाणिज्यनाम के पास और दूसरा राजगृह के पास । अब यदि वर्तमान जन्मस्थान को ही ठीक माना जाए, तो वहाँ से कोल्लाक सनिवेश बहुत ही दूर पडता है, जहाँ एक ही दिन मे पहुँच कर निवास करने की घटना युक्तियुक्त सिद्ध नहीं हो सकती। राजगृह वाला स्थान चालीस मील पश्चिम की ओर पडेगा और दूसरा स्थान इससे भी अधिक दूर । अतः महावीर को वैशाली का निवासी मानना ही ठीक है, क्योकि यहाँ से कोल्लाक सनिवेश बहुत ही समीप है।
१ 'श्रमण भगवान् महावीर'-शास्त्र-संग्रह-समिति, जालौर, के द्वारा प्रकाशित, स० १९९८, भूमिका
(मारवाड़) पृष्ठ २५-२८
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