________________
गुरुदेव श्रीरत्न मुनि स्मृति-अन्य
वैशाली का भौगोलिक वर्णन
वैशाली तथा उसके आसपास के प्रदेशो का प्रमाणिक वर्णन जैनमूत्रों में विशेष म्प में दिया हुआ है। इनकी विशद मूचना बौद्धग्रन्थो में भी उपलब्ध नहीं होती। इन प्रदेशों का गलिप्त वर्णन नीचे दिया जाता है
__वैशाली के पश्चिम में गण्डकी नदी बहती है । यह नगरी बरी गमृद्धशानिनी थी । उसका भौगोलिक विस्तार भी न्यून न था । गण्डकी के पश्चिमी तट पर अनेक ग्राम धं जो बंगाली के 'गागानगर' पहे जाते हैं । निम्नलिखित ग्रामो का परिचय मिलता है
१. कुण्डग्राम-इम नाम के दो ग्राम थे। एक का नाम 'बाह्यकुण्डग्राम' या 'गुरुजपुर' था जिसमे ब्राह्मणो की ही विशप स्प में बस्ती थी। दूसरे का नाम क्षत्रियगुण्डयाम' या जिसमें क्षत्रियों का ही प्रधानतया निवाम था। इनमें दोनो कमा एक दूसरे के पूर्व-पश्चिम में थे। ये दोनों पाग ही पास । दोनो के बीच में एक बहा बगीचा था जो 'बहुनालचत्य' के नाम में विग्यात था। दोनो नगरी के दो-दो खण्ड थे । 'ब्राह्मणकुण्डपुर' के नायक ऋषभदत नामक ब्राह्मण थे, जिनकी भार्या का नाम 'देवानन्दा' था। ये दोनो पार्श्वनाथ के द्वारा स्थापित जैन धर्म के मानने वाले गृहम्य थे । 'क्षत्रिय-गुष्ठग्राम' के दो विभाग थे । इसमें करीब पांच-सी घर 'जाति' नामक क्षत्रियों के थे, जो उत्तरी भाग में जाकर वसे हुए थे। उत्तर क्षत्रियकुण्ठपुर के नायक का नाम मिला था। ये काम्यपगोपीय शाति क्षत्रिय थे तथा 'राजा' की उपाधि मे मण्डित थे । वैशाली के तत्कालीन राजा का नाम था पेटक, जिनकी वहिन त्रिशला का विवाह सिद्धार्य से हुआ था। उन्ही विगला और सिद्धार्य के कनिष्ठपुत्र 'वर्धमान' थे, जिनका जन्म इसी ग्राम में हुआ था।
२ कर्मारग्राम-प्राकृत 'कम्मार' फर्मकार का अपना है । अत कौर का अर्थ है मजदूरो का गाव अर्थात् लोहारो का गाँव । वह गाव भी कुण्डग्राम के पास ही था । महावीर प्रग्रज्या लेकर पहली रात को यही ठहरे हुए थे।
३ कोल्लाक सनिवेश-यह स्थान पूर्व निदिष्ट ग्राम के समीप ही था। कारग्राम मे विहार करके महावीर ने यही पारणा किया था । उपासकदशासूत्र के प्रथमाध्ययन में उस स्थान की स्थिति का सप्ट उल्लेख मिलता है। यह नगर वाणिज्यग्राम (जिसका वर्णन नीचे है) के तथा उम बगीचे के बीच में पडता था।
४. गणिज्य ग्राम-यह जनमूत्रो का 'वाणिज्यग्राम' बनियो का गाव है। गण्डकी नदी के दाहिने किनारे पर यह बडी भारी व्यापारी मण्डी थी । ऐसा जान पडता है, यहां बडे-बडे धनाढ्य महाजनो की बस्ती थी। यहां के एक करोड़पति का नाम आनन्द गायापति था, जो महावीर के बडे भक्त सेवक थे । आजकल की वैशाली (मुजफ्फरपुर जिले की बसाढपट्टी) के पास बनिया ग्राम है । बहुत सम्भव है कि यह गाव 'वाणिज्यग्राम' का ही प्रतिनिधि हो ।
४२२