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विदेशी संस्कृतियो मे अहिंसा
बडा अर्थ-सूचक है ।' अहं भ० अहंत का प्रतीक हो सकता है-शम्म का अर्थ प्रकाश । सुमेर सस्कृति की विशेष खोज करने से और भी बाते ज्ञात हो सकती है।
सुमेरो का अवकड एव एलम (Elam) के लोगो को परास्त किया और एलमो को बैवीलोनिया के शाह हम्मुरबी ने जीता था। इस प्रकार सुमेरो के पश्चात् बैबीलोनिया (Babylonia) का साम्राज्य और सस्कृति लोक मे प्रसिद्ध हुए। वह अक्कड और सुमेरो का संयुक्त रूप था। उनका देवता वेल (Bel= वृपभ) स्वर्ग और पृथ्वी का देव था। उनमे हम्मुखी नामक एक महान् सम्राट हुए थे, जिन्होने अशोक की तरह ही धर्म-लेख खुदवाए थे। उनका आदर्श, एक जैन नृप का आदर्श था-सुष्ट का सरक्षण एव दुष्ट का निग्रह करना था। प्रति वर्ष बेल (वृषभ) देव का रथ निकाल कर अहिंसा का प्रचार किया जाता था।
किन्तु जिस समय अलकृत-भाषा मे लिखे हुए धर्मग्रन्यो के रहस्य मर्ह अर्थ को लोग भूल गए और उसे शब्दार्थ मे ग्रहण करने लगे, उसी समय से वे अहिसा-मार्ग से बहक गए और भोगो मे आसक्त होकर आसुरी वृत्ति में लीन हो गए। यद्यपि भारत के असुर वहाँ जनो के कारण अहिंसा धर्म को ही पालते रहे थे । "लेटर आँव अरिस्ट्रेयस" से स्पष्ट है, कि पुरातन काल मे धर्म सिद्धान्त अलकृत-भापा
और लिपि मे लिखे जाते थे-उनका गुरुमुख से पढना आवश्यक था। किन्तु समय की विशेषता ने लोगो को सत्य से बहका दिया-लोग दुराचारी और पापी हो गए-सुरा सुन्दरी के भोग मे अन्धे हो गए । मन्दिर भी भोग और वासना से अछूते न रहे। उरुकजिन (Urukgina) जैसे सन्त ने इस भोग लिप्सा के विरुद्ध आन्दोलन खडा किया और लोगो को पुन अहिंसा-मार्ग पर आने के लिए मार्गदर्शन किया।
किन्तु पतन की ओर बहका हुआ मानव जल्दी सन्मार्ग पर नहीं आता-यही हाल बैबीलोनिया मे हुआ । लोग सम्भले तो, परन्तु सब नहीं । अहिंसा को पालने का ध्यान तो आया, परन्तु केवल खास-खास दिनो पर। न्यू-चैबीलन काल के एक प्रमाण-लेख (Document) मे निम्नलिखित
' इडियन हिस्टोरीकल कारटरली भा० १२ १०३२४ पर उल्लेख है Will Durant, "Our Oriental Heritage (the Story of Civilisation), 1954
-pp. 21-123 3 Ibid, p.2x9. * Ibid, p. 220 ५ Ibid, p. 23
गिरिनार गौरव (अलीगम) प्रस्तावना • Addenda to Confiuence of opposites देखिए 5 Will Dnrant, loc, cit, p. 128,
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