________________
--
रामायण सम्बन्धी एक अज्ञात जेन - रचना सीता-चरित
श्री भवरलाल नाहटा
fofofan
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र भारत के मान्य महापुरुषो मे से है, जिनके सम्बन्ध मे बहुत बडा साहित्य भारत व भारत के बाहर विविध भाषाओ मे रचा गया है। इस सम्बन्ध मे डा० बुल्के का शोध प्रबन्ध बहुत ही महत्व की जानकारी देता है, जिसका परिवद्धित नया सस्करण हाल ही मे भारतीय हिन्दी परिषद्, प्रयाग से प्रकाशित हुआ है ।
३८६
जैन धर्म मे राम को बलदेव व लक्ष्मण को वासुदेव व रावण को प्रति वासुदेव के रूप मे त्रिषष्टिशलाका महापुरुषो मे सम्मिलित किया गया है। प्राचीन जैनागमो मे राम का नाम 'पउम' प्राप्त होता है । इसलिए उनकी जीवनी से सम्बन्धित ग्रन्थो का नाम 'पउम चरिय', पद्म चरित्र तथा पद्म-पुराण रखा गया है । परवर्त्ती ग्रन्थो मे रामायण, रामचरित, सीताचरित नाम भी प्राप्त होते है । सबसे प्राचीन विमल सूरि का 'पउमचरिय प्राकृत भाषा मे है, जो पहली शताब्दी की रचना मानी जाती है । उसी की रचना की । 'चउपन्न महापुरुष चरिय
के संस्कृत अनुवादरूप मे दिगम्बराचार्य रविषेण ने पद्मचरित त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित और महापुराण आदि मे भी राम कथा पायी जाती है । रामकथा के दो जैन रूपान्तरो के सबध मे स्वर्गीय नाथूराम जी प्रेमी ने अपने पद्मचरित शीर्षक लेख मे अच्छा प्रकाश डाला है । अपभ्रंश के महाकवि स्वयभू का 'पउमचरिय' भी प्रकाशित हो चुका है, जो बहुत प्रसिद्ध है ।
प्राकृत भाषा मे एक और महत्त्वपूर्ण रामचरित अभी तक अप्रकाशित है, जिसका नाम सीता चरित रखा गया है । यह रचना काफी प्राचीन प्रतीत होती है । यद्यपि इसमे रचियता व रचनाकाल