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________________ क्या देव-जनीज (Diogenes) जैन थे ? पाश्चात्य दर्शन के इतिहासकारो ने यह स्पष्ट कर दिया है, कि यह विज्ञान-विरोधी नही थे । पर वे विज्ञान को आत्म-सयम एव इन्द्रिय-दमन ही का तथा मनुष्य को अत्यन्त अनिवार्य इच्छामी की पूर्ति ही का साधन बनाना चाहते थे । भौतिक विज्ञान के अन्य मूल्यों के प्रति चे उदागीन थे। यह भी कहा गया है, कि वे बुद्धि के विकास के विरोधी नही थे। बुद्धि से ग गमार के मुगो की मार-हीनता समभाई जा सकती है । ऐसा यह मानते थे । एक प्रसिद्ध पुरुप ने उन्हें अपने नामों के गिक्षण का भार गोपा, और अपने सिद्धातो के अनुकूल शिक्षा देने में उन्होंने पूर्ण सफलता पाई। इन देव-जिनी-ज के सिद्धान्तो को गरीवो ने तो अपनाया ही अमीगे के लको में भी वस्त्र, भोजन आदि का निरादर करने की, इनके प्रभाव से एक प्रकार का फैगन-मा ही पः गया। उनकी रयाति यूनान के बाहर, मिस्र देश के इस्कदरिया आदि नगरो तक पहुंच गई। पर पाश्चात्य दर्शन के इतिहासकार इनके व्यक्तित्व एव कलव्य गे प्रभारित नहीं पाए जाते है। विन्डल्दैन्ड समझते हैं, कि इनकी ख्याति पाश्चात्य, यूनान राम्यता का मगौल उसाने भोजन, वस्त्र, घर आदि का निरादर करने से हुई। वटैंड रसेल कहते है कि भारतीय भिमार्ग (Indan rakn) के समान वे भिक्षावृति से गुजारा करते थे और रसेल पूछते है, कि उनके उपदेश किन्हें अच्छे लगे होंगे? क्या अमीरो को जो गरीबो के दुखो को काल्पनिक मानकर प्रसन्न हुए होगे? या गरीबो को जो मफल रोजगारियो को तुच्छ बतलाए जाने पर प्रसन्न हुँए होगे या मुशामद या भिक्षा मे धन प्राप्त करने वाली को । जो दान लेने के बाद दानी को तुच्छ वतलाए जाने पर, प्रगान हा होग' या उधार लेने वालो को जो यह देखकर प्रसन्न हुए होगे, कि रुपया लौटाना बहुत आवश्यक नहीं है। उस प्रकार के उपदेगी और जैन धर्म के नैतिक सिद्धान्तो को इससे भी कडी और तीन आलोचना निदशे (Nietzschc) ने की है। उसने इस प्रकारके धर्म को गुलामो का धर्म निरपित किया है । गच तो यह है कि ऐसे मुनियो का व्यक्तित्व, जो मल धारणा करे, या वास के वन मे भस्मीभूत हो जावें, पाश्चात्य दार्शनिको के लिए अब तक एक हेपली है। NOHAN I WAN - ३८८
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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