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प्राचीन आयुर्वेद-कला
का एक प्राचीन पन्ना उन्हे मिला था। हमारे देश मे अस्मिता कब जागेगी, जब इन रत्नो को बटोर कर हम रुपने पूर्वजो की महान् धरोहर का रूप तो समझ सकेगे । हजारो लोग इस देश से हर वर्ष विदेशो मे जाते है । पर खेद है, कि किसी के मन मे यह विचार ही नही उठता, कि कम से कम इन दुर्लभ ग्रन्थो की चित्र-प्रतिलिपि तो हम अपने देश ले चले। यदि इस लेख को देखकर ही इन ग्रन्थो के सकलन की इच्छा किसी मे जाग जाग, तो लेखक अपना परिश्रम सार्थक समझेगा।
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