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पूर्व इतिवृत्त
१८ आर्य पुष्यगिरि १६ आर्य फल्गुमित्र २० आर्य धनगिरि २१ आर्य शिवभूति २२ आर्य भद्र २३ आर्य नक्षत्र २४ आर्य रक्ष २५ आर्य नागर २६ आर्य जेहिल २७ आर्य विष्णु २८ आर्य कालक
कौशिक गोत्र गौतम गोत्र वशिष्ठ गोत्र कुच्छस गोत्र काश्यप गोत्र काश्यप गोत्र काश्यप गोत्र गौतम गोत्र वशिष्ठ गोत्र माढ (8) र गोत्र गौतम गोत्र
यह तीसरे कालकाचार्य है, इनका समय रन-सचय ग्रन्थ के अनुसार वीर स० ७२० माना जाता है।
२६-३० आर्य संपलित और आर्य भद्र
____ दोनो गौतम गोत्री और दोनो ही आर्यकालक के प्रमुख शिष्य एव बाल ब्रह्मचारी । आर्य कालक के पश्चात् दोनो ही पट्टधर । दोनो का सघ फिर से एक, और दोनो के पट्टधर एक ही आचार्य आर्य भद्र। ३१ आर्य भद्र
गौतम गोत्र ३२ आर्य सघपालित
गौतम गोत्र ३३ आर्य हस्ती
काश्यप गोत्र ३४ आर्य धर्म
साक्य गोत्र ३५ आर्य हस्ती
काश्यप गोत्र ३६ आर्य धर्म ३७ आर्य सिंह
काश्यप गोत्र ३८ आर्य धर्म
काश्यप गोत्र
१ यह नाम मनोहर सप्रदाय की पट्टावली मे नहीं है। २ मनोहर सप्रदाय को पट्टावली मे नागेन्द्र नाम है, और इनके पट्टधर उपरगणी का नाम आता है, जिनका उल्लेख कल्प स्थविरावली मे नही है। उपरगणी के पट्ट पर सीधा ही देवद्धिगणी क्षमाश्रमण का नाम है, जब कि स्थविरावली मे नाग के बाद जेहिल आदि अनेक आचार्यों के नाम आए हैं। प्रस्तुत निबंध मे स्थविरावली के अनुसार आचार्य परम्परा का वर्णन है।