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________________ काव्य और संगीत डा० रामानन्द तिवारी 'शास्त्री' एम० ए० पी० एच० डी० डी० फिल ++ ++ +++ +++ + ++ + + +++--+-+-+-+-+-+-+-+-+-+ +-+-+ काव्य और संगीत दोनो शब्द की कलाएं है। इस नाते दोनो का घनिष्ठ सम्बन्ध है। इसीलिए प्राचीनकाल से साहित्य और कला के इतिहास में इन दोनो कलाओ का सयोग मिलता है । काव्य का प्राचीनतम रूप ऋग्वेद मे मिलता है। उसमे काव्य और सगीत दोनो का सगम है । अर्थ और भाव की दृष्टि से उसमे काव्य की प्रचुरता है । दूसरी ओर लय और राग की दृष्टि से उसमे सगीत की विपुलता भी है । इसी प्रकार सूरदास के पदो और तुलसीदास की रामायण मे तथा निराला की गीतिका एव अन्य आधुनिक हिन्दी के गीतिकाव्य मे काव्य और संगीत का सगम मिलता है। ऋग्वेद से लेकर आधुनिक काल तक के लोकगीत भी काव्य और संगीत के इस सगम के उदाहरण है। भारतीय संस्कृति की परम्परा मे काव्य और सगीत का व्यापक समन्वय मिलता है। एक उत्कृष्ट रूप में काव्य और संगीत का सगम हिन्दी साहित्य की अनुपम विशेषता है। शब्द के सामान्य माध्यम मे व्यक्त होते हुए तथा इतिहास मे सयुक्त रूप में मिलते हुए भी काव्य और संगीत की कलाओ मे भेद किया जा सकता है। इस भेद की दृष्टि से काव्य का सम्बन्ध अर्थ अथवा भाव से अधिक है तथा सगीत का सम्बन्ध स्वर से अधिक है । 'शब्द' अर्थ की अभिव्यक्ति का माध्यम है । भावाभिव्यक्ति के क्रम मे शब्द की स्वर-योजना में भी एक लय उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार प्रायः सभी काव्य मे सगीत का सम्पुट मिल जाता है। किन्तु सभी काव्य मे ऋग्वेद, सूरसागर और रामचरितमानस की भांति भाव की प्रचुरता के साथ-साथ काव्य मे सगीत की विपुलता का सगम आवश्यक नही है । हिन्दी का आधुनिकतम काव्य जिसे 'नयी कविता' कहते है काव्य को सगीत के बधन से पूर्णत मुक्त करना ३१२
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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