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________________ भारतीय संस्कृति मे सगीत-कला आचार्य समाधान देता है । वन्स | सात स्वर है, और वे नाभि से समुत्पन्न होते है। शब्द ही उसका मूल स्थान है। छद के प्रत्येक चरण मे उछ्वास ग्रहण किए जाते है, और गीत के तीन प्रकार है।' शिष्य पुन प्रश्न करता है । भन्ते । गीत के तीन प्रकार कौन से है ? इसका समाधान भी आगमकार देते है । "गीत प्रारम्भ मे मृदु होता है, मध्य मे तेज होता है, और अन्त मे पुन मद होता है। छन्द शिष्य जिज्ञासा करता है। प्रभो । छन्द कितने प्रकार का होता है। आगमकार समाधान देते है, कि छद तीन प्रकार का है। १ सम-जिस छद के चारो पद के अक्षरो की संख्या समान हो, वह सम कहलाता है। २. अर्धसम-जिस छद के प्रथम और तृतीय, द्वितीय और चतुर्थ पद समान संख्या वाले हो, वह अर्धसम कहलाता है। ३ विषम-जिसमे किसी भी पद की सख्या एक-दूसरे से न मिलती हो, वह विषम कहलाता है । कौन कैसे गाता है शिष्य प्रश्न करता है, भगवन् | क्या सभी व्यक्ति एक सदृश गाते है, या विभिन्न तार से गाते है। आगमकार समाधान करते है, कि सभी एक सदृश नही गाते है, किन्तु अलग-अलग तरीके से गाते है, स्थानाङ्ग के अनुसार श्यामा मधुर गाती है । काली खर-रुक्ष गाती है, गौरी चतुर गाती है, काणी अविलम्ब गाती है। अधा द्रुत गाता है, और पिंगल विस्वर गाता है। वैदिक ग्रंथो मे संगीत वैदिक मान्यताओ का मूल आधार वेद है। ऋग्वेद ससार का प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है । जब ऋग्वेद के मत्र स्वरालाप मे गाए जाते है, तब उसे "साम" कहते है। सामवेद के स्वतत्र मत्र बहुत १ (क) सत्त सराओ को संभवंति गेयस्य का भवति जोणी ? कति समता उस्सासा कति वा गैयस्स आगारा॥ -स्थानाग. ७, उद्देश ३, स्वरप्रकरण मा. १९, सू० ५३३, आगमो० पृष्ठ ३६३ (ख) सत्त सराओ को वा, हवति गीयस्स का हवइ जोगी। कर समय ओसासा कउ गीयस्स आगारा॥ -अनुयोगद्वार गा० १६ २९७
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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