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________________ निक्षेप सिद्धान्त सज्ञा शब्दो के विविध अर्थ भी नही होता । जैसे कि मुक्तात्मओ के। इसी प्रकार नित्य पदार्थों मे नो आगमभावि द्रव्य-निक्षेप भी नहीं होता। क्यो कि वे उपादेय (कार्य) नही होते । यही कारण है कि वहाँ उपादान की जरूरत नही होती। श स्थापना-निक्षेप से द्रव्य-निक्षेप का क्या भेद है ? ___ समाधान- इन दोनो मे यही भेद है कि स्थापना-निक्षेप भिन्न पदार्थों में होता है और द्रव्यनिक्षेप अभिन्न में। - आपसि-आप-२ यह युक्ति उचित नहीं है कि द्रव्य निक्षेप अभिन्न पदार्थो मे ही होता है । क्यो कि जैसे देव और देव प्रति । भिन्न है, वैसे ही राजा और राजा का शरीर भी भिन्न है। समाधान-यह आप ठीक नहीं है । क्यो कि ज्ञान ज्ञेयादि सबधो से भिन्न वस्तुओ मे भी अभिनत्त्व का उपचार कर लिया है। अत वे अभिन्न रूप से प्रतीत होने लगती है। ऐसे ही पदार्थ द्रव्यनिक्षेप के विषय बनते है, किन्तु सतना-निक्षेप मे यह बात नहीं है । स्थापना मे जो अभिन्नत्व है, वह निक्षेप के द्वारा किया जाता है। कि द्रव्य निक्षेप मे तो उपचार से अभिन्नत्व, पहले ही है। बात यह है कि स्थापना निक्षेप मे अभिन्नता काय जब कि द्रव्य निक्षेप मे वह कारण है । यही इन दोनो मे भेद है। भाव-निक्षेप वर्तमान पर्याय सहित द्रव्य को भाव निक्षेप कहते है। इसके भी द्रव्य निक्षेप की तरह दो भेद हैएक आगम-भाव निक्षेप और दूसरा आगमभाव निक्षप । तत् तत् वस्तु विषयक शास्त्र को जानने वाला वर्तमान मे उपयोग सहित आत्म आगमभाव निक्षेप है । जैसे राजा के ज्ञान से सयुक्त उपयोग सहित मनुष्य भावागम राजा है। वर्तमान में स पर्याय सहित वस्तु को नो आगमभाव-निक्षेप कहते है, जैसे जो वस्तुत राजा है, उसे राजा कहना नो आगम निक्षेप ही वास्तविक वस्तु को कहता है । आग को आग, पानी को पानी, घडे को घडा, निक्षेप के इसी भेद से कह सकते है । भाव निक्षेप का सम्बन्ध केवल वर्तमान पर्याय से ही है । अत इस निक्षेप मे द्रव्य-निक्षेप की तरह ज्ञायक-शरीर आदि भेद नहीं होते । इन दोनो निक्षेपो मे यही भेद है। प्रश्न-नाम-निक्षेप और भाव-निक्षेप मे क्या भेद है ? उत्तर-नाम-निक्षेप मे व्यक्ति वाचकत्त और भाव-निक्षेप मे भाव वाचकत्व अथवा जाति वाचकत्व है। १६७
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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