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________________ गुरुदेव श्री रत्न मुनि स्मृति-प्रन्थ अंग्रेजी अनुवाद समस्त आगमो का अंग्रेजी अनुवाद नहीं हो सका है। परन्तु जर्मन विद्वान हरमन जैकोबी ने आचाराग, सूत्रकृताग, उत्तराध्ययन और कल्पसूत्र इन चार आगमो का बहुत सुन्दर अनुवाद किया है। आचाराग और कल्पसूत्र के अनुवाद की भूमिका अत्यन्त सुन्दर और उपयोगी है। उससे बहुत-सी प्राचीन मान्यताओ पर अच्छा प्रकाश पडता है। आगमो की महत्ता का परिज्ञान होता है। उक्त विद्वान ने जैन धर्म के अन्य अन्थो का भी अनुवाद और सम्पादन किया है। आचार्य हरिभद्र की समरादित्य की कथा का सम्पादन और सशोधन बहुत ही सुन्दर हुआ है। उसकी भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अभ्यकर ने दणकालिक सूत्र का अंग्रेजी अनुवाद बहुत सुन्दर किया है। उपासक दशाग का भी अंग्रेजी अनुवाद बहुत सुन्दर हुआ है। इनके अतिरिक्त अन्तकृत-दशा और अनुत्तरोपपातिक दशा का भी अग्रेजी अनुवाद हो चुका है। विपाक सूत्र और निरयावलिका सूत्र का भी अग्रेजी अनुवाद हो चुका है। विदेशी विद्वानो ने आगमो के अतिरिक्त अन्य ग्रन्थो का भी अग्रेजी अनुवाद किया है। गुजराती अनुवाद आगम-वाङ्गमय के विराट विद्वान महामनीपी पण्डित वेचरदास जी ने अनेक आगमो का सशोधन सम्पादन और अनुवाद किया है। आपने आगमो का गहरा अनुशीलन करके, उनका सशोधन और सम्मादन करके श्रुत की महती सेवा की है। भगवती-सूत्र, कल्प सूत्र, राजप्रश्नीय-सूत्र, माता-सूत्र और उपासक दशा सूत्र का बहुत सुन्दर अनुवाद ही नहीं किया, बल्कि विशेप स्थलो पर महत्वपूर्ण टिप्पण भी लिखे है और प्रारम्भ की भूमिका । जीवाभाई पटेल ने अनेक आगमो का सुन्दर शैली में अनुवाद किया है। उन पर महत्त्वपूर्ण टिप्पण भी लिखे है । जीवा भाई पटेल के प्रकाशन बडे ही महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए है। दार्शनिक विद्वान पण्डित दलसुख जी मालवणिया ने स्थानाग सूत्र और समवायाग सूत्र का मयुक्त अनुवाद विपयवार वर्गीकरण और महत्त्वपूर्ण टिप्पणो से सयुक्त अभिनव प्रकाशन किया है, जो अपनी शैली का सुन्दर प्रकाशन है। पण्डित श्री सौभाग्य मुनि जी "सन्त वाल" ने पूर्व आचाराग का बहुत सुन्दर अनुवाद किया है। विशेष स्थलो पर और विशेष शब्दो पर गम्भीर टिप्पण लिखे है और प्रारम्भ मे विस्तृत भूमिका भी लिखी है, जो तुलनात्मक है । दशवकालिक सूत्र और उत्तराध्ययन सूत्र का भी आपने अनुवाद और सटिप्पण सम्पादन किया है। मूर्ति पूजक-परम्परा के अनेक विद्वान मुनिवरो ने अनेक आगमी का सुन्दर अनुवाद किया है। केवल आगमो का ही नही, कुलक और अन्य ग्रन्थो का भी उल्लेखनीय अनुवाद किया है ।
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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