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आगम साहित्य : एक अनुचिन्तन ७. देवेन्द्र स्तोत्र-इसमे देवेन्द्र द्वारा भगवान् महावीर की की गई स्तुति का वर्णन है । इसमे ३२ देवेन्द्रो और उनके अधीन रहने वाले सूर्य-चन्द्र आदि देवो, उनके निवास स्थानो, उनकी स्थिति, उनके भवन और उनके परिग्रह आदि का वर्णन है।
८. गणिविधा-इसमे ज्योतिप विद्या का वर्णन है । इसमे बलाबल विधि, दिवस, तिथि, नक्षत्र, करण, गृह-दिवस, मुहूर्त, शकुन, लग्न और निमित्त आदि का वर्णन है। इसमे कुल ८२
गाथाएं है।
६. महाप्रत्याख्यान-प्रस्तुत आगम मे महाप्रत्याख्यान कराने की विधि का वर्णन है। इसमे यह बताया है कि जीवन मे पाप दोष के लगे हुए शूलो की आत्म आलोचना के द्वारा जीवन से निकाल कर साधक को शल्य-रहित बनना चाहिए । इसमे ससार के दुखद स्वरूप का वर्णन है । इसमे कुल १४२ गाथाएं है।
१० गच्छाचार-इसमे गच्छ के स्वरूप का वर्णन है। आचार-निष्ठ आचार्य एव उसके चरित्र निष्ठ शिष्यो से गच्छ उज्ज्वल बनता है। इसलिए इसमे आचार्य के शिष्य और गच्छ के लक्षणो का उल्लेख है। इसमे कुल १३७ गाथाएँ है । ४० गाथाओ मे आचार्य के स्वरूप का वर्णन है, ४१ से १०६ तक साधु के स्वरूप का और १०७ से १३४ तक गच्छ के स्वरूप का वर्णन है। अन्तिम तीन गाथाओ मे यह बताया गया है, कि यह प्रकीर्णक महानिशीथ, वृहत्कल्प और व्यवहार-इन तीन छेद सूत्रो मे से लिया गया है। उपसंहार
आगम-साहित्य बहुत विशाल है। उसमे प्रसगानुसार विविध विपयो की चर्चा है। उसमे केवल धर्म, दर्शन एव आचार से सम्बन्धित बातो की नहीं, प्रत्युत सास्कृतिक, ऐतिहासिक एव वास्तुकला आदि विषयो का भी उल्लेख मिलता है । कोई भी आगम ऐसा नहीं है, जिसमे केवल एक ही विषय हो । प्रत्येक आगम मे अनेक विपयो का उल्लेख मिलता है। फिर भी कुछ आगम ऐसे है, जिनमे एक विषय की प्रधानता है । उसमे प्रसगानुसार अन्य विषय भी आए है, परन्तु वे गौण रूप से आए है, और उनका उस विषय को पुष्ट करने के लिए प्रयोग किया गया है । अत विषय की प्रधानता की दृष्टि से हम यहाँ आगमो का वर्गीकरण कर रहे है।
कुछ आगम आचार से सम्बन्ध रखते है । आचाराग और दशवकालिक आचार सूत्र है । अन्य आगमो मे भी साध्वाचार का वर्णन आता है । उत्तराध्ययन मे भी साध्वाचार का वर्णन है । परन्तु उक्त उभय आगमो मे साध्वाचार का वर्णन ही मुख्य है । इसके अतिरिक्त छेद सूत्रो का मुख्य विषय भी आचार का निरूपण करना है । आचाराग और दशवकालिक मे साधुओ के आचार का निरूपण है । उसमे प्राय उत्सर्ग मार्ग का ही विधान मिलता है । कही-कही प्रसगानुसार आपवादिक सूत्र आ गए हैं । परन्तु छेद
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