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________________ गुरुदेव श्री रत्न मुनि स्मृति-ग्रन्थ डॉ. विन्टजर ने सूर्य प्रज्ञप्ति को वैज्ञानिक ग्रन्थ स्वीकार किया है । अन्य पाश्चात्य विचारको ने इसमे उल्लिखित गणित और ज्योतिप विज्ञान को महत्वपूर्ण माना है । डॉ० शुविंग ने हेमवर्ग यूनिवर्सिटी, जर्मन मे दिए गए अपने एक भापण मे उल्लेख किया है-"जैन विचारको ने जिन तर्क सम्मत एव सुसम्बद्ध सिद्धान्तो को प्रस्तुत किया, वे आधुनिक विज्ञान वेत्ताओ की दृष्टि मे भी अमूल्य एव महत्वपूर्ण है। विश्व रचना के सिद्धान्त के साथ-साथ उसमे उच्च कोटि का गणित एव ज्योतिप विज्ञान भी मिलता है । सूर्य प्रज्ञप्ति मे गणित एव ज्योतिप पर गहराई से विचार किया गया है। अत सूर्य प्राप्ति का उल्लेख किए बिना भारतीय ज्योतिप का इतिहास अधूरा एव अपूर्ण रहेगा ।' अस्तु पाश्चात्य विचारको एव ऐतिहासक विद्वानो की दृष्टि मे ज्योतिप एव गणित की दृष्टि से अन्वेपको एव चिन्तनशील विचारको के लिए सूर्य प्राप्ति एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसे हम ज्योतिप और गणित का कोप भी कह सकते है। ___७. चन्द्र प्रज्ञप्ति-इसमे चन्द्र ज्योतिप चक्र का वर्णन है। इसका वर्णन प्राय सूर्य-प्राप्ति जैसा है। डा० विन्टजर का कथन है कि जम्बू-द्वीप प्राप्ति, सूर्य प्रज्ञप्ति और चन्द्र प्रज्ञप्ति वैज्ञानिक ग्रन्थ (Scientific Works) है । इनमे भूगोल, खगोल, विश्व-विद्या और काल के भेदो का उल्लेख । ८. निरयावलिका-सूत्र-निरयावलिका का अर्थ है-निरय-नरक की आवलि करने वाले व्यक्तियो का वर्णन करने वाला ग्रन्थ । इसमे मगध के सम्राट श्रेणिक के काली कुमार आदि दस पुत्रो का वर्णन है, जो अपने ज्येष्ठ भ्राता कोणिक के पक्ष में अपने नाना चेटक से युद्ध करते हुए मरकर नरक मे गए और वहां से निकल कर मोक्ष जाएंगे। & कल्पावतसिका-सूत्र-इसमे मगध देश के सम्राट् श्रेणिक के पद्मकुमार आदि दस पौत्रो का वर्णन है, जो दीक्षा ग्रहण करके विभिन्न कल्पो–देवलोको मे उत्पन्न हुए और वहां के सुख-वैभव एव आयु का भोग करके मनुष्य भव मे आकर मोक्ष जाएंगे। १० पुष्पिका-सूत्र-इसमे दस देवो का वर्णन है, जो अपने पुष्पक विमानो मे बैठकर भगवान महावीर का दर्शन करने आते है और उस समय गौतम स्वामी के पूछने पर भगवान् उन्हे १ चन्द्र, २ सूर्य, 9 He who has a through knowledge of the structure of the world cannot but admire the inward logic and harmony of Jain Ideas Hand in hand with the refind cosmoga, phical idcas goes a huh standard of astronomy and mathematics A histoiy of Indian astionomy is not conceivable without the famous 'Surya Pragypatt' -Dr Schubing ४४
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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