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गुरुदेव श्री रत्न मुनि स्मृति-ग्रन्थ
इसमे दस अध्ययन है । यह तीन वर्गों में विभक्त हैं। तीन वर्गों मे ३३ दिव्य पुरुषो के जीवन का वर्णन है । प्रथम और द्वितीय वर्ग मे क्रमश श्रेणिक राजा के पुत्र जालिकुमार आदि के १० अध्ययन और दीर्घसेन आदि के १३ अध्ययन है । तृतीय वर्ग मे १ धन्य-धन्ना अणगार, २ सुनक्षत्र, ३ ऋपिदास, ४ पेलक, ५ राम-पुत्र, ६ चन्द्रकुमार, ७. पोष्ठी-पुत्र, ८ पेढालकुमार, ६ पोटिलकुमार और १० बहलकुमार के दस अध्ययन है । ये सभी साधक अपने साधना काल को पूरा करके अनुत्तर विमान मे गए है और वहाँ से च्युत होकर मनुष्य भव को प्राप्त करेंगे और पुन साधना करके सिद्ध-बुद्ध एव मुक्त बनेगे।
___ इसमे तीर्थकर भगवान् के समवसरण, उनके अतिशय और परीपहो पर विजय प्राप्त करके यशस्वी, तेजस्वी बने हुए, तपोनिष्ठ एव ज्ञान, दर्शन और चारित्र तथा अन्य अनेक गुणो से सुशोभित शिष्यो और विशिष्ट ज्ञानी श्रमणो का वर्णन है। तीर्थकर भगवान् का शासन जीवो के लिए कैसा हितप्रद और सुखद है, देवो का वैभव कैसा है, देव किस प्रकार से तीर्थकरो के पास आते है, किस प्रकार से सेवा-भक्ति करते है, तीर्थकर देव और मनुष्यो को किस प्रकार धर्मोपदेश देते है, उनके प्रवचन को सुनकर मनुष्य किस प्रकार विषय-कपाय एव भोगोपभोगो का त्याग कर तप, सयम एव साधनापथ को स्वीकार करते है, ज्ञान, दर्शन, चारित्र की किस प्रकार से साधना-आराधना करके तथा ध्यान, चिन्तन-मनन एव अनशन व्रत की साधना के द्वारा किस प्रकार से समाधि मरण को प्राप्त करके अनुत्तर विमान मे जन्म ग्रहण करते है, इसका और इसके अतिरिक्त अन्य विषयो का विस्तार से वर्णन है ।
. प्रस्तुत आगम आकार की दृष्टि से बहुत छोटा है । इसके प्रत्येक वर्ग मे पहले अध्ययन का विस्तार से वर्णन है, पहली कथा पूरे रूप मे दी गई है । शेप अध्ययनो की कथाओ मे इतना ही सकेत किया गया है कि इसे प्रथम कथावत् समझे। १० प्रश्न व्याकरण-सूत्र
इस आगम का नाम प्रग्न-व्याकरण है । प्रश्न का अर्थ है-विद्या विशेष और व्याकरण का अभिप्राय है उसका प्रतिपादन, विवेचन या व्याख्या । समवायाग सूत्र में दिए गए परिचय के अनुसार इसमे आदर्श, अगुष्ठ, बाहु, असि, मणि, वस्त्र और आदित्य विपयक प्रश्नो का, विविध महाप्रश्न विद्या, मन प्रश्न विद्या, जिस विद्या से प्रभावित होकर देव मनोकामना पूर्ण करते है, वह विद्या, विस्मयकारी प्रश्नो का स्व-समय और पर-समय का निरूपण करने मे प्रवीण प्रत्येक बुद्ध श्रमणो द्वारा अनेकान्त भापा में दिए गए उनरो की या भगवान् महावीर के द्वारा जगत के जीवो के हित के लिए किए समाधान की प्ररुपणा की गई है। यह विषय पूर्व काल मे था। वर्तमान मे प्रस्तुत आगम मे दस द्वार है१ प्रश्न-व्याकरण के वर्तमान मे १० अध्ययन मिलते है । टीकाकार किसी अन्य वाचना के अनुसार
४५ अध्ययन बताते हैं । परन्तु वर्तमान मे उपलब्ध आगम मे ४५ अध्ययन और उसमे दिए गए विषयो का नामोनिशान नही मिलता और टीकाकार भी इस विषय मे मौन है । टीकाकार ने केवल इतना ही उल्लेख किया है कि पूर्व काल मे इस शास्त्र मे ये सब विद्याए थी, परन्तु वर्तमान काल मे तो उसमे पांच मानव और पांच सवर का ही वर्णन है। प्रश्न व्याकरण टीका
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