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आगम-साहित्य एक अनुचिन्तन
प्रथम-श्रुतस्कध
प्रस्तुत आगम दो श्रुत-स्कधो मे विभक्त है । प्रथम-श्रुतस्कध मे १९ अध्ययन है-१ उत्क्षिप्त अध्ययन-इसमे श्रेणिक राजा के पुत्र मेधकुमार की कथा है, २ सघाटक अध्ययन-इसमे धन्य सेठ और विजय चोर का दृष्टान्त दिया है, ३ अडक अध्ययन-इसमे मोर के अडो के उदाहरण के माध्यम से धर्मोपदेश दिया है, ४ कूर्म अ०-इसमे कच्छवे का दृष्टान्त है, ५ शैलक अ०-शैलक राजर्षि की कथा है. ६ तुम्ब अ०—इसमे तुम्बे का रूपक देकर जीव की उर्ध्वगति का निरूपण किया है, ७ रोहिणी अ०-इसमे एक सेठ की पुत्रवधू रोहिणी का उदाहरण है, ८ मल्ली अ०-इसमे स्त्री-लिग मे तीर्थकर होने वाले १९ वे तीर्यकर मल्लीनाथ को कथा है, ६ माकन्दी अ०—इसमे माकन्दी नामक वणिक के जिनपाल और जिनरक्षित दो पुत्रो की कथा है, १० चन्द्रमा अ०-इसमे चन्द्रमा का उदाहरण है, ११ दावद्दव अ०–समुद्र तट पर अकुरित एव पल्लवित होने वाले इस नाम के वृक्ष का दृप्टान्त है, १२ उदक-शहर के बाहर पोखर मे सडने वाले पानी को किस तरह शुद्ध किया जा मकता है, इसका उदाहरण है, १३ मडुक अ०-नन्दन-मणिकार की कथा है, १४ तेतली अ० तेतलिसुत नामक मत्री की कथा है, १५ नन्दी फल अ०-उक्त वृक्ष एव उसके फलो का वर्णन है, १६ अवरकका अ०-धातकी खड मे स्थित भरत क्षेत्र की राजधानी, उसके राजा और उसके द्वारा द्रौपदी के हरण का वर्णन और द्रौपदी एव पाडवो की कथा है, १७ आकीर्ण अ०-समुद्र में रहने वाले इस नाम के अश्वो-घोडो का वर्णन है, १८ सुसमा-उक्त नाम की प्ठि-कन्या का उदाहरण है, और १६ पुडरीक अ०-पुडरीक की कथा है । इस प्रकार उक्त १९ अध्ययनो मे कथाएँ, उपकथाएं, दृष्टान्त, उपदृष्टान्त एव उदाहरण है । इसमे अनेक कथाएँ घटित है और कुछ उदाहरण साधक को समझाने के लिए बनाए गए है।
द्वितीय श्रुतस्कघ
प्रस्तुत श्रुतस्कध परिशिष्ट के रूप में है । इसमे एक अध्ययन है और वह दस भागो मे विभक्त है, जिन्हे वर्ग सज्ञा दी गई है । और विभिन्न कथाओ के द्वारा साधना के महत्व को समझाया गया है। सामावायाग सूत्र मे दिए गए परिचय के अनुसार इसमे एक-एक धर्मकथा मे पाँच-सौ-पाच-सौ आख्यायिकाएँ है। एक-एक आख्यायिका मे इतनी ही उपारयायिकाएं है और प्रत्यक उपास्यायिका मे पाँच-सौ आख्यायिका-उपाख्यायिका है। इस तरह समस्त कथाओ, आख्यायिकाओ एव उपाख्यायिकाओ को मिलाकर इनकी साढे तीन करोड सख्या होती है। परन्तु, वर्तमान मे इसमे इतनी कथाएं उपलब्ध नही है।
७. उपाशक-दशॉग सूत्र
प्रस्तुत आगम में श्रमण भगवान् महावीर के दस उपासको का वर्णन है । जो साधक हिसा भूठ आदि दोषो का पूर्णतया त्याग करके और सासारिक भोगो एव कार्यों से निवृत्त होकर सयम-पथ
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