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________________ आगम साहित्य एक अनुचिन्तन स्थानकवासी और तेरहपन्थ सम्प्रदाय द्वारा मान्य बत्तीस आगमो के नाम अग १ आचाराग २ सूत्रकृताग ३ स्थानाग ४. समवायाग ५ भगवती ६ ज्ञाताधर्मकथा ७ उपासक दशाग अन्तकृद्दशाग ६. अनुत्तरोपपातिक १० प्रश्न- व्याकरण ११ विपाक उपाग औपपातिक रायप्रश्नीय जीवाभिगय प्रज्ञापना जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति चन्द्र- प्रज्ञप्ति सूर्य-प्रज्ञप्ति निरयावलिका कल्पवतसिका पुष्पिका पुष्प चुलिका वृष्णिदशा आगम मूल दशकालिक उत्तराध्ययन अनुयोगद्वार नन्दी छेद निशीथ व्यवहार बृहत्कल्प दशा - श्रुत-स्क २७ आवश्यक श्वेताम्बर परपरा की तीनो सम्प्रदायो - १ मूर्तिपूजक, २ स्थानकवासी और तेरहपन्थ द्वारा मान्य आगम साहित्य के नामो का ऊपर उल्लेख कर दिया है। अब निम्न पक्तियो मे ४५ आगमो का सक्षिप्त वर्णन किया जा रहा है, जिससे आगमो मे वर्णित एव चर्चित विषय का पाठको को परिचय मिल जाए । १ आचारॉग - सूत्र आचाराग-सूत्र का द्वादशागी मे या श्रुत-साहित्य मे मूर्धन्य स्थान है। प्रस्तुत आगम मे आचार का वर्णन है और आचार साधना का प्राण है, मुक्ति का मूल है। इसलिए आगम- साहित्य के व्याख्या कारो ने इसे अग- साहित्य का सार, निचोड या नवनीत कहकर इसके महत्व को स्वीकार किया है। " भाषा, शैली एव विपय की दृष्टि से भी यह सब आगमो से प्राचीन एव महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। पौर्वात्य विद्वानो ने ही नही, बल्कि डा० हरमन याकोवी और शुब्रिग जैसे पाश्चात्य विद्वानो ने भी इसके महत्व को स्वीकार किया है। ។ श्रमाणा कि सारो ? आयारो । - आचाराग नियुक्ति
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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