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गुन्देव श्री ग्न मुनि स्मृति अन्य
दम पयन्ना
२.
आतुस्-प्रत्यायन चन्द्र-वैध्यक महाप्रन्यान्यन मंनाक
भक्त-परिना देवन्द्र-नव चनु गरण
तन्दुल-वैचारिक गणि-विद्या बीर-स्तव
७
:
१०.
८४ प्रागमो के नाम
पानिक-मूत्र ) आवश्यत्र मूत्र के अग हैं।
वदितु
७०.
५५
१ मे ४५ तक पूर्वोक्त ४६ कल्प-मूत्र (पर्याण-काप, जिन-चन्त्रि, विरावनी, समाचार्ग आदि ४७ पति-जीत-कल्प –मोमप्रभ मूरि ४८ यदा-जीत-कप-मबोप.मूरि नाना जीत कल्प ४६. अमापना-मूत्र
अग-लिया ऋपिभापित
वग-चलिया अजग्व-कल्प
वृद्ध-चतुगरण ५४. गन्छाचार
जम्बू-पयन्ना मग्ण-नमावि
आवय्यक-नियुक्ति मिड-प्राभूत
दशवकालिक-नियुक्ति तीर्थोदगार
उनराध्ययन-नियुक्ति आरावनापताका
आवाराग-नियुक्ति द्वीप-मागर-प्रनप्ति
मूत्रकृतांग-नियुकि ज्योतिप-करण्डक
सूर्य-प्रज्ञप्ति अग-विद्या
बृहत्कल्प-नियुक्ति तिथि-प्रकीर्णन
व्यवहार-नियुक्ति पिण्ड-बिगुद्धि
दशायुत-स्कय-नियुक्ति मारावली
ऋपिभापिन-नियुकि पर्यन्तारावना
मनक्त-नियुक्ति जीव-विभक्ति
विनपावश्यक भाप्य क्वच-प्रकरण ६८. योनि-प्राभूत
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