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गुरुदेव श्री रत्न मुनि स्मृति-ग्रन्थ
दृष्टिवाद ।
१ चरण-करणानुयोग
कालिक सूत्र २ वर्मकथानुयोग
उत्तराध्ययन,ऋपि-भापित आदि ३ गणितानुयोग
सूर्य-प्रजप्ति आदि ४ द्रव्यानुयोग दिगम्वर परंपरा मे भी चार अनुयोगो का वर्णन मिलता है, परन्तु वह कुछ रूपान्तर में उपलब्ध होता है । उनके नाम निम्न है
१ प्रथमानुयोग, २ करणानुयोग, 2 चरणानुयोग और ४ द्रव्यानुयोग । श्वेताम्बर परपरा के अनुसार चार अनुयोगो के विषय निम्न है - १ चरणकरणानुयोग
आचार २ धर्मकथानुयोग
चरित्र, दृष्टान्त, कथा आदि ३ गणितानुयोग
गणित, काल ४. द्रव्यानुयोग
द्रव्य, तत्त्व दिगम्वर सरपरा के अनुसार अनुयोगो का विषय निम्न प्रकार से है - १ प्रथमानुयोग
महापुरुषो के जीवन चरित्र २ करणानुयोग
लोकालोक-विभक्ति, काल, गणित ३ चरणानुयोग
आचार, ४ द्रव्यानुयोग
द्रव्य, तत्त्व दिगम्बरा, परम्परा मे आगम-माहित्य को मर्वथा लुप्त मानते हैं। इसलिए वर्तमान में वे निम्न प्रन्यो को निम्न अनुयोगो मे समाविष्ट करते है१ प्रथमानुयोग
पुराण, महापुराण २ करणानुयोग
त्रिलोक-प्रजाप्ति, त्रिलोक-मार ३ चरणानुयोग
मूलाचार ४. द्रव्यानुयोग
प्रवचनमार, गोम्मटसार आदि
१ दशव कालिक नियुक्ति, ३ २ रत्नकाण्ड श्रावकाचार, अधिकार १, पृष्ठ ७१-७३