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________________ गुरुदेव श्री रल मुनि स्मृति-प्रन्थ . n x x 3 4 = = = = = 6 x = 4 4 4 x 8. x x x x x x x x ४ अनुयोग दो प्रकार का है-१ मूल-प्रथमानुयोग और २ ,गडिकानुयोग । मूल-प्रथमानुयोग मे-अरिहन्त भगवान् के पूर्वभव, देवलोक गमन, आयु, च्यवन जन्म, अभिषेक, राज्य लक्ष्मी, पालखी, प्रव्रज्या, तपश्चर्या, आहार, केवल-ज्ञान, तीर्थ-प्रवर्तन, सघयन, संस्थान, ऊंचाई, आयु, शिष्य, गण, गणघर, आर्या, प्रवर्तिनी, चतुर्विध सघ का परिमाण, केवली, मन पर्यव-ज्ञानी, अवधि-ज्ञानी, सम्यग्दृष्टि, श्रुत ज्ञानी, अनुत्तर विमान मे उत्पन्न होने वाले साधु-साध्वी, सिद्ध-बुद्ध होने वाले साधु-साध्वी, पादोपगमन अनशन करने वाले, और वे सर्व-श्रेष्ठ श्रमण-श्रमणी सपूर्ण कर्मों का क्षय करके, जितने दिन का अनशन करके मुक्तिगामी होते है, उनका और तीर्थकरो से सम्बन्धित, ऐसी अन्य बातो का उल्लेख किया गया है। गडिकानुयोग के अनेक भेद है, जैसे-१ कुलकर गडिकानुयोग, २ तीर्थकर ग०, ३ गणधर ग०,४ चक्रधर, ग०, ५ दशार ग० ६ बलदेव ग०, ७ वासुदेव ग०, ८. हरिवंश ग०, ६ भद्रबाहु ग०, १० तपक ग०, ११ चित्रान्तर ग०, १२ उत्सर्पिणी ग० १३ अवसर्पिणी ग०, और देव, नरक एव तिर्यञ्च गति मे जो विभिन्न जन्म होते है, उनका व्याख्यान इत्यादि अनेक गडिकानुयोग हे । ५ चूलिका-पहले चार पूर्वो की चूलिका है, अन्य की नहीं है। प्रथम पूर्व की ४, द्वितीय की १२, तृतीय की ८ और चतुर्थ पूर्व की १० । कुल ४+१२++१=३४ चूलिकाएं है।' १ समवायाङ्ग सूत्र, १४७ ४ .
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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