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________________ एक महान आत्मा इस ससार मे प्रतिदिन अनेक व्यक्ति जन्म लेते है तथा अनेक विदा होते है। महान्व्यक्ति इस ससार से विदा होने के पश्चात् भी अपनी अमर-कीति के प्रकाश को छोड जाते है, जिससे आगे वाले व्यक्ति उस प्रकाश से आलोकित होते रहते है । ऐसे महामानव का प्रत्येक कार्य समाजोत्थान तथा जन-कल्याण के लिए होता है और वे अपने शुभ-कमों से स्वय का भी उच्च जीवन बना लेते है और जनता को भी आदर्श मार्ग पर बढ़ चलने के प्रेरणा देते है। वास्तव मे ऐसे महान व्यक्ति भगवान् महावीर के सत्य अहिंसा के सन्देश को ससार मे फैलाने के लिए ही अवतरित होते है। श्रद्धेय, पूज्य गुरुदेव श्री रत्नचन्द्र जी महाराज ऐसे ही महान् सत थे। आप धर्म एव दर्शन-शास्त्र के ज्ञाता थे और ज्योतिष शास्त्र का भी आपको बहुत ज्ञान था। आपकी प्रवचन शैली इतनी सरल एव प्रभावयुक्त थी कि उसके प्रभाव से अनेक अजैन भी जैन बन गए । आपने कई ग्रन्थ लिखे है । आपने उत्तर प्रदेश, पजाब, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश मे पैदल भ्रमण करके धर्म का प्रचार किया एव अनेको श्रद्धालु व्यक्तियो ने उनके उपदेश एवं शिक्षाओ से समुचित लाभ उठाया। पूज्य गुरुदेव सवत् १८९१ मे आगरा नगर मे पधारे थे और लोहामडी के क्षेत्र मे विशेष रूप से धर्म का प्रचार किया था। उस समय अग्रवाल लोहिया समाज भूले एव भटके हुए मार्ग पर अग्रसर हो रहा था । उन्होने हमारे समाज को एक नया जीवन प्रदान किया। हमे सत्य, अहिंसा के मार्ग पर बढ चलने की प्रेरणा दी । आपकी वाणी का समाज पर बहुत ही प्रभाव पडा और प्रत्येक व्यक्ति ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया । अहिसा का मार्ग हम लोगो ने आत्म-कल्याण के लिए अपनाया । इस प्रकार पूज्य गुरुदेव का श्री अग्रवाल लोहिया समाज पर बहुत ही उपकार रहा है । आज भी गुरुदेव के बताए हुए सनमार्ग पर समाज चल रहा है। ___ सवत् १९२१ मे गुरुदेव का लोहामडी मे ही स्वर्गवास हो गया और अपने इस असार ससार को त्याग कर अमर-पद प्राप्त किया। पूज्य गुरुदेव की स्वार्गारोहण शताब्दी, आगरा की सघ के ओर से मनाई जा रही है तथा इस शुभ अवसर पर स्मृति-प्रथ के प्रकाशन कार्य के निर्देशक उपाध्याय कविरत्न श्री ३.मरचचन्द्र जी म० है तथा पडित श्रीविजयमुनि जो शास्त्री प्रधान सम्पादक है । आपका भी समाज पर बहुत उपकार है। इन शब्दो के साथ पूज्य गुरुदेव श्री रतनचन्द्र जी म० के चरणो मे अपनी तथा श्री अग्रवाल लोहिया महासभा की ओर से श्रद्धाजली अर्पित कर रहे है। सभापति प्रधानमंत्री श्री सीताराम जी जैन श्री सोहन लाल जो जैन जामनगर आगरा
SR No.010772
Book TitleRatnamuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Harishankar Sharma
PublisherGurudev Smruti Granth Samiti
Publication Year1964
Total Pages687
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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