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अध्यात्म गुणों का स्मरण
भी बाबूराम जी शास्त्री
गुरुदेव श्रद्धय रत्नचन्द्र जी महाराज अपने युग के एक दिव्य महापुरुप थे । उनका ज्ञान अगाध था, उनका चरित्र उज्ज्वल था और उनका जीवन पावन एव पवित्र था। गुरुदेव का तपपूत जीवन जन-जन के कल्याण के लिए था। उनकी वाणी मे तेजस्ओजस और वर्चस् था। अनेकान्त और अहिंसा के प्रसार के लिए उन्होने दूर-दूर तक की विहार-यात्रा की थी। उनका जीवन ज्ञान और क्रिया का समन्वय स्थल था। उन्होने अपने युग मे प्रचलित मिथ्या मान्यताओ का प्रवल विरोध किया था। सत्य मार्ग का समर्थन किया था। जिधर गुरुदेव एक बार पधार गए, उधर ही जय-जयकार हो गए । आगरा श्री सघ पर गुरुदेव का विशेप अनुग्रह था । आपने अपने जीवन-काल में अनेक क्षेत्रो को प्रतिवोधित किया था, उन क्षेत्रो मे लोहामडी भी एक है । गुरुदेव के विचारो की ज्योति आज भी यहाँ प्रदीप्त हो रही है । शताब्दी के शुभ अवसर पर गुरुदेव के अध्यात्म-गुणो का स्मरण कर के जीवन मे उतारना ही हम सब का एक मात्र कर्तव्य और ध्येय है।
पंजाब समा की ओर से
श्री मदनलाल जी शाह
श्रद्धेय गुरुदेव श्री रत्नचन्द्र जी महाराज की इस पुण्य शताब्दी की हमे बडी खुशी है । वे अपने युग के एक महान् पुरुष थे। अपने निर्मल जान और पवित्र आचार से उन्होने समाज मे एक नयी रोशनी पैदा की थी। एस० एस जैन सभा पजाव की ओर से हम सब लोग हार्दिक भाव से अपनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते है।