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पणुण्णं = मिटाए हुए । णिवतितं नीचे गिरते हुए । वातेरितं [(वात)+ ईरित)] =वायु द्वारा, हिलते हुए । एवं = इस प्रकार । वालस्स= मूर्ख के - मूर्ख के द्वारा। जीवितं =जीवन । मंदस्स= अज्ञानी का अज्ञानी
के द्वारा । अविजाणतो नहीं जानने से। 83 संसयं (संसय) 2/1 परिजाणतो (परिजाण) पंचमी अर्थक 'तो' प्रत्यय
संसारे (संसार) 1/1 परिण्णाते (परिण्णात) भूकृ 1/1 अनि भवति (भव) व 3/1 अक अपरिजाणतो (अपरिजाण) पंचमी अर्थक 'तो'
प्रत्यय अपरिग्णाते (अपरिण्णात) भूक 1/1 अनि 83 संसयं =संशय को । परिजाणतो समझने से । संसारे संसार ।
परिण्णाते =जाना हुआ । भवति= होता है। अपरिजाणतो नहीं
समझने से । अपरिण्णाते =जाना हुआ नहीं। 84 उद्विते (उद्वित) भूकृ 1/1 अनि. गो (अ)=नहीं पमादए (पमाद) व)
3/1 अक 84 उढिते प्रगति किया हुआ। णो= नहीं । पमादए = प्रमाद करता है। 85 से (अ)=वाक्य की शोभा पुव्वं (अ)= पहले पेतं (पेत) भूकृ 1/1
अनि पच्छा (अ)= बाद में मेउरधम्म [(भेउर) वि-(धम्म) 1/1] विद्धसणघम्म [(विद्धसण)-(धम्म) 1/1] अधुवं (अधुव) 1/1 वि अणितियं (अणितिय) 1/1 वि असासतं (असासत) 1/1 वि चयोवचइयं [(चय)+ (प्रोवचइय)] [(चय)-(प्रोवचइए-अवचइय) 1/1 वि विप्परिणामघम्म [(विप्परिणाम)-(धम्म) 1/1] पासह (पास) विधि
2/2 सक एयं (एय) 2/1 सवि स्वसंघि [(रूव)-(संघि) 2/1]. 85 से = वाक्य की शोभा । पुव्वं = पहले । पेतं = छूटा । पच्छा=बाद में ।
भेउरधम्म = नश्वर, स्वभाव । विद्ध सणधम्म=विनाश, स्वभाव ।
अधुर्वअध्र व । अणितिय = अनित्य । असासतं अशाश्वत । चयोवचइयं चयनिका ]
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