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जैन नित्य पाठ संग्रह
श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः हुण्डावसर्पिणि काले-पंचमेः ॥ वीर संवत् २४५२ फाल्गुन शुक्ले २ रविवासरे प्रातः काले हा कलाके पूर्व भाद्रपद नक्षत्रे लेखन प्रारम्भ करिष्याम्।
श्री श्री १०८ दिगम्बर जैन चतुसंघाधिपति कुन्दकुन्दाचार्य मूल संघ सरस्वतीगच्छ बलात्कारगण आचार्य रत्न श्री शान्तिसागर महाराज तत्पदसेवी शिष्य "ऐल्लक चन्द्रसागर," लिखितः स्वपठणार्थ गुरूउपदेशे। .
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