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The Index of OG. Stanzas
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[लघुवाचना] [ The serial No. of Stanza is given ] अमिय कलश कुच तापणि 59 | पाडल छइ अतिकूवली आंबुलइ मांजरि लागा
23 वहिनूए रहइ न मनमथ इक थुडि करुणी न वेउल 116 बांधा कामु ति फरकसु इणि परि नाहु ति रीझषी 118 वाहुलता अतिकोमल इम देखिउ वन संपद।
बोलइ ते ललपलती य उर वरि हारू ति भारू
76 | बोलावद तउ महुयर कामिणि पामइ जे सुख
94 मयणु जि वयण निरोपई केसुय कलिय ति वांकुडी
मुरुकुलइ मुखु मचकोडइ कोइल आंबुलाडालिहि
18| रहि रहि तोरिय जो अलि घूमइ मधुप सकेसर
25 | रासु रमई मन सरसिय चांपुला तश्वर नी कली
रितुपति राउ प्रधानु छाजइ नेह परायणु
110 वनि विरचिय कदलीहर जिम जिम विहसइ षणसा
12 | पनि पिलसइ सवि कामुक ने किमइ गजगति चालइ 72 | वर्मत तणा गुण गहगया बलका विमल कपोल कि
46 'पालइ बिलसिवा विधरु न तिलकुसुमोपमु नाकु रे । विउलसिरी मदभिभल दमुणइं गुणमहिमां तड
विरह हियइ तिह भागलउ देसु कपूरिहिं वासि रे
धीर सुभट कुसुमायुघ धनु धनु वायस तुव सरु
वेणि भणउं कि भुजंगम नमणि न करहि पयोधर 62 | सकल कला तूं मिशाकर नाभि गंभीर सरोवर
सकुन विचारु संसाविय . नाहु म छोछि रि गामटि | सखि अलि चरणि न चांपा निषिधिपणइ विधाता घडी
सखि मुझु फुरकइ जाघडी . पथिक भयंकर केतु कि . 35| सहनि सलील मदालस पहिलउ सरसति अरचिसु 2 हरिण हरावइ जोतीय .. पहुतिय समरवि सिवरति ___4 | हल सखि दुःखु दुनीठउ
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