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[ १०३ ] २१-~गीत लालस पीरदांन रो कहियो (श्री गंगसांमजीरो) किम तरिय भव हव कासू करणौ, निज निसतरणौ थारै नाम । घरिणयां जेम उवारी धरणी, सरणी तूझ तरणो गंगसाम ॥१॥ संमरे ब्रहम"" "" • • • .". "न, धन मुरघर तणी घर। मा ............ • 'माह वडा, चलणी थारी चकघर ॥२॥ आलिम साह पारवती अोपे, रुखमणी रांणी पासि रहै। ओ गंगसांम विराजे आछो, देखें जिहांरा दळिद्र दहै ।। ३॥ भूलिज्यो मति कदेई भूघर, जोइ लेख राख विजराज । तूझ तणौ निसदीह त्रीकमा, मुजरो पीर कर महाराज ॥ ४॥
२२-गीत पीरदांन लालस रो कयौ
___भगवान री स्तुति रो नारी अहिला सरीर सिला, कीर ना तारियो थही। दातार अदला देव, चाव धारी चिति । हलाहला आया हालिम, हला स हल्या हुआ । महा प्रभु श्राप मला, भला भला मित ॥१॥ पहळाद गांन पला, अला अला कहो आप। राजिरां भगतां माथे राकसांरी रोस । ताहरां नां दिये टला, विशननु होमवला भुजाउंड वीस । अगासुरां बुगासुर कंसासुरा उडिया ॥२॥ निसाचरा प्रसासुरा अचासुरां नांखि।
त्रासुरा वारणांसुरा दीया वाहि । 'आपरा - भगता दिसी ऑखि ॥३॥ उपविजे अविणास अम्ह पास एह पार्छ । नितो निति रहाविजे नेम । वेद व्यास वालमीक सुखदेव दास वाला। प्रभु रे चितिमां वालो पोरदास प्रेम ॥४॥